भारत में बढ़ती बांग्लादेशी घुसपैठ: राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर संकट, ईडी और एनआईए की बड़ी कार्रवाई
भारत के कई राज्यों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढ़ती संख्या अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह मुद्दा चुनावी गरमा-गर्मी के बीच और भी महत्वपूर्ण हो गया है। विशेष रूप से झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में यह विषय काफी चर्चित है।
हाल ही में एक जांच में यह सामने आया कि इन राज्यों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि कई इलाकों की जनसंख्या संरचना (डेमोग्राफी) ही बदल चुकी है। रिपोर्टों के अनुसार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में इन घुसपैठियों ने स्थानीय समुदायों के बीच असंतोष बढ़ा दिया है, और कुछ स्थानों पर इनकी संख्या आदिवासी और स्थानीय जनसंख्या से भी अधिक हो गई है।
ईडी का बड़ा एक्शन: अवैध नागरिकता रैकेट का पर्दाफाश
केंद्र सरकार के एजेंसियां अब इन घुसपैठियों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए सक्रिय हो गई हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में झारखंड और पश्चिम बंगाल में 17 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें कई बांग्लादेशी नागरिकों और उनके साथ काम करने वाले भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार आरोपियों में दो बांग्लादेशी नागरिकों, रोनी मोंडल और समीर चौधरी के अलावा पिंटू हलदार और पिंकी बसु शामिल हैं।
ईडी का आरोप है कि यह गिरोह बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ करवा रहा था और उन्हें भारतीय नागरिकता दिलवाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर रहा था। पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा जून 2024 में एक एफआईआर दर्ज करने के बाद, ईडी ने पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत जांच शुरू की थी। इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों के पास से फर्जी आधार कार्ड, पासपोर्ट, प्रिंटिंग मशीन, अवैध हथियार, कारतूस, नकद और आभूषण बरामद किए गए हैं।
पश्चिम बंगाल और झारखंड: घुसपैठ का मुख्य रास्ता
पश्चिम बंगाल की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि यहां बांग्लादेश से लगी सीमा 2272 किलोमीटर लंबी है। हुगली नदी, जंगलों और अन्य रास्तों के जरिए बांग्लादेशी नागरिक आसानी से भारत में घुसपैठ कर रहे हैं। सबसे ज्यादा घुसपैठ के मामले 24-परगना और मुर्शिदाबाद जिलों से सामने आ रहे हैं, जहां से बांग्लादेशी नागरिक मालदा जिले के पोरस बॉर्डर और पगला घाट के रास्ते भारत में घुस आते हैं। इसके बाद ये घुसपैठिए झारखंड के संथाल परगना इलाके में बस जाते हैं, जहां वे स्थानीय जनसंख्या के साथ मिलकर जीवन यापन करते हैं।
संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों ने इलाके की डेमोग्राफी बदल दी है। जहां पहले आदिवासी समुदाय की संख्या अधिक थी, अब वहां बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिससे आदिवासी समुदाय में असंतोष का माहौल है।
झारखंड में घुसपैठ के नए तरीके: शादी और साजिश
झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे भी हुए हैं। जांच में सामने आया कि कुछ बांग्लादेशी नागरिकों ने आदिवासी महिलाओं से शादी कर के इलाके में अपनी पहचान बनाई और उनका रजिस्ट्रेशन करवा लिया। यह मामला ऐसे मामलों को उजागर करता है, जहां बांग्लादेशी नागरिकों ने आदिवासी महिलाओं को पैसों का लालच देकर उनसे शादी की और इस तरह से स्थानीय जनसंख्या के बीच घुसपैठ की। इससे इलाके की जनसंख्या संरचना पूरी तरह से प्रभावित हो गई है, और स्थानीय लोग इसे अपनी अस्मिता और अस्तित्व के लिए खतरे के रूप में देख रहे हैं।
देशभर में बांग्लादेशी घुसपैठियों का खतरा: नॉर्थ ईस्ट और आतंकवाद
इसी प्रकार, भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे असम, त्रिपुरा और मेघालय में भी बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या बढ़ रही है। इन राज्यों में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ घने जंगलों के रास्ते और सुदूर इलाकों के माध्यम से हो रही है। खासकर, असम और त्रिपुरा में पहाड़ी इलाकों से बांग्लादेशी नागरिक आसानी से घुसपैठ कर रहे हैं।
इसके साथ ही, बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण, वहां मौजूद आतंकी संगठन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के इशारे पर भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं। इस संबंध में हाल ही में खुफिया जानकारी प्राप्त हुई है, जिसके बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक बड़ी कार्रवाई की है। एनआईए ने जम्मू कश्मीर, कर्नाटका, पश्चिम बंगाल, बिहार, त्रिपुरा, असम और अन्य राज्यों में छापेमारी की और संदिग्ध आतंकवादियों और उनके नेटवर्क के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चलाया।
सर्च ऑपरेशन में एनआईए ने बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा फंडिंग किए जा रहे आतंकी नेटवर्क के बारे में महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस बरामद किए हैं। इन दस्तावेजों में बांग्लादेश से भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने की जानकारी मिली है।
क्या बांग्लादेशी घुसपैठ देश के लिए बड़ा खतरा बन चुका है?
बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा अब केवल राज्यों की सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़ा एक बड़ा खतरा बन चुका है। यह घुसपैठ केवल जनसंख्या की डेमोग्राफी बदलने का काम नहीं कर रही, बल्कि यह देश की आंतरिक सुरक्षा पर भी गंभीर असर डाल रही है। देशभर में इस समस्या को लेकर कड़ी नीतियों और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता महसूस की जा रही है, ताकि इन घुसपैठियों के खिलाफ ठोस कदम उठाए जा सकें और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
अब यह देखना होगा कि केंद्रीय एजेंसियां और राज्य सरकारें मिलकर इस खतरे से निपटने के लिए कितनी प्रभावी रणनीतियाँ अपनाती हैं, ताकि देश की आंतरिक सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके और बांग्लादेशी घुसपैठियों का देश के विभिन्न हिस्सों में विस्तार रोका जा सके।
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