नई दिल्ली: फेड नीति, शटडाउन समाप्ति और मजबूत डॉलर—कैसे अमेरिका बना गोल्ड की कीमतों में गिरावट का सबसे बड़ा कारण?
एक ही दिन में सोने में 5,000 रुपये और चांदी में 8,700 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट, तीन बड़े कारक आए सामने
शुक्रवार का दिन गोल्ड और सिल्वर निवेशकों के लिए भारी साबित हुआ। कारोबारी सत्र के दौरान सोने की कीमतों में 4% तक की गिरावट देखी गई, जो हाल के वर्षों की सबसे बड़ी इंट्राडे गिरावटों में से एक मानी जा रही है। देर शाम जब घरेलू वायदा बाजार बंद हुआ, तब सोना 2.50% से अधिक की गिरावट के साथ 1.23 लाख रुपये के आसपास ट्रेड कर रहा था। चांदी में भी मंदी का दौर देखा गया और यह करीब 8,700 रुपये प्रति किलोग्राम टूट गई। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर पूरे विश्व में महंगे माने जाने वाले सोने को इतनी तेजी से नीचे किसने धकेला? इसका जवाब है—अमेरिका।
विशेषज्ञों के अनुसार सोने की कीमतों में गिरावट के तीन बड़े कारण हैं—अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर नीति, अमेरिका में 43 दिनों बाद खत्म हुआ शटडाउन और डॉलर इंडेक्स में तेजी। ये तीनों कारक मिलकर गोल्ड के लिए ऐसे ‘विलेन’ बने कि सोने की चमक फीकी पड़ गई। सबसे पहले बात करें फेड की, तो अधिकारियों की आक्रामक टिप्पणियों ने यह संकेत दे दिया है कि दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बेहद कम है। फेडवॉच टूल के अनुसार, कटौती की संभावना हफ्ते की शुरुआत के 64% से गिरकर 49% रह गई है। ब्याज दरें ऊंची रहेंगी तो नॉन-यील्ड एसेट—सोना—कम आकर्षक हो जाता है।
दूसरा बड़ा कारण है अमेरिकी शटडाउन का खत्म होना। 43 दिनों तक आर्थिक आंकड़ों के अभाव में बाजारों में अनिश्चितता थी, जिसके चलते सोने को सेफ-हेवन के रूप में खरीदा जा रहा था। लेकिन जैसे ही सरकार का कामकाज पटरी पर लौटा, अनिश्चितता में कमी आई और सुरक्षित निवेश की मांग कमजोर पड़ गई। व्हाइट हाउस ने भले ही कहा है कि अक्टूबर के बेरोजगारी आंकड़े तुरंत उपलब्ध नहीं होंगे, पर इसका असर सीमित माना जा रहा है और सोने पर दबाव जारी है।
तीसरा और सबसे सीधा असर डालने वाला कारक है डॉलर इंडेक्स की मजबूती। डॉलर इंडेक्स 0.12% बढ़कर 99.27 स्तर पर पहुंच गया है और जल्द ही 100 के पार जाने की संभावना जताई जा रही है। पिछले एक महीने में डॉलर 0.85% और तीन महीनों में करीब 1.45% मजबूत हुआ है। डॉलर मजबूत होता है तो सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतें दबाव में आ जाती हैं, क्योंकि यह डॉलर में ही ट्रेड होता है। मजबूत डॉलर मतलब दुनिया भर के निवेशकों के लिए सोना महंगा—और नतीजा, खरीदारी कम।
घरेलू बाजार की बात करें तो शुक्रवार को सोना 5,000 रुपये टूटकर दिन के निचले स्तर 1,21,895 रुपये तक चला गया, जबकि बंद होते समय यह 1,23,561 रुपये पर stabilise हुआ। विदेशी बाजार में कॉमेक्स पर सोना 127 डॉलर प्रति औंस टूटा, जबकि चांदी 5.56% गिरकर 50 डॉलर के आसपास पहुंच गई। इस भारी गिरावट को विशेषज्ञ एक ‘रेयर इवेंट’ बता रहे हैं।
या वेल्थ ग्लोबल रिसर्च के डायरेक्टर अनुज गुप्ता का कहना है कि फेड की नीति और शटडाउन समाप्ति की वजह से सोने और चांदी की अपील निकट भविष्य में और कमजोर हो सकती है। हालांकि, 2025 में अब तक सोना और चांदी दोनों अपने सर्वोच्च स्तर पर बने हुए हैं—सोना सालभर में 45,700 रुपये और चांदी 67,700 रुपये बढ़ चुकी है। नवंबर में भी सोने में 1% और चांदी में 4.6% का उछाल रहा है, जो दर्शाता है कि लंबी अवधि में इन धातुओं की मजबूती बनी हुई है।
अभी सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या आने वाले दिनों में गोल्ड और टूटेगा या बाजार में फिर एक तेज़ी का दौर लौटेगा? इसका जवाब फेड की अगली घोषणा और डॉलर की चाल से तय होगा।
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