दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की महानिदेशक (DGHS) डॉ. वंदना बग्गा को निलंबित कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी (मानव संसाधन-चिकित्सा) ने मंगलवार को निलंबन का आदेश जारी किया। हालांकि, आदेश में निलंबन के स्पष्ट कारणों का उल्लेख नहीं किया गया है। सूत्रों के अनुसार, उनके खिलाफ सतर्कता विभाग (विजिलेंस) में शिकायत दर्ज की गई थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।
निलंबन का विरोध, डॉ. बग्गा का बड़ा कदम
निलंबन के फैसले का विरोध करते हुए डॉ. वंदना बग्गा ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य अधिकारियों को पत्र लिखा है। उन्होंने आदर्श आचार संहिता लागू होने का हवाला देते हुए कहा कि बिना नोटिस के निलंबन करना नियमों के खिलाफ है। डॉ. बग्गा ने इस फैसले के खिलाफ न्यायालय जाने की भी बात कही है।
निलंबन के बाद स्वास्थ्य विभाग में बदलाव
स्वास्थ्य विभाग ने डॉ. बग्गा के निलंबन के बाद डॉ. राजेश कुमार को महानिदेशक और परिवार कल्याण निदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। डॉ. कुमार वर्तमान में डीजीएचएस के अतिरिक्त निदेशक हैं और वरिष्ठता के आधार पर यह जिम्मेदारी संभालेंगे।
विवाद की जड़ – दवाओं की जांच और CBI आदेश
डॉ. वंदना बग्गा के नेतृत्व में डीजीएचएस की एक समिति ने दिल्ली के अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में आपूर्ति की गई दवाओं की गुणवत्ता पर आई शिकायतों की जांच की थी। समिति ने शिकायतों को निराधार बताते हुए मामले को बंद करने की सिफारिश की थी। इसके बाद, डॉ. बग्गा ने आपूर्तिकर्ताओं पर लगे प्रतिबंध हटा दिए थे।
हालांकि, इस मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल ने विजिलेंस की सिफारिश पर सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। विजिलेंस की रिपोर्ट और डीजीएचएस की सिफारिशों के बीच विरोधाभास चर्चा का विषय बन गया है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य पर असर
हाल ही में, डॉ. बग्गा ने चीन में बढ़ते सांस संबंधी संक्रमण (HMPV वायरस) को देखते हुए दिल्ली में हाई अलर्ट जारी किया था। ऐसे समय में उनका निलंबन सार्वजनिक स्वास्थ्य और दवाओं की गुणवत्ता को लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है।
इस घटनाक्रम के बाद सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक फैसले जांच के घेरे में आ गए हैं। क्या यह निलंबन प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है या फिर व्यक्तिगत प्रतिशोध का मामला है, यह जांच के
बाद ही स्पष्ट होगा।