भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारतीय रेलवे एक नई दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नॉर्थ ईस्ट में चीन से सटे इलाकों तक रेलवे ट्रैक बिछाने की बड़ी परियोजना के तहत निर्माण कार्य की रफ्तार में तेजी आई है। रेलवे का दावा है कि इस योजना के तहत, विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों में, 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलाने के लिए नई रेल लाइनें बनाई जा रही हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य केवल क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाना नहीं है, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी यह योजनाएं बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।
नाथू ला और तवांग तक रेलवे लाइन का निर्माण
भारतीय रेलवे ने तिब्बत की सीमा से सटे नाथू ला और तवांग जैसे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बिंदुओं तक रेलवे लाइन बिछाने के लिए परियोजनाओं को मंजूरी दी है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, 1 अप्रैल 2025 तक कुल 1368 किलोमीटर लंबी और 74,972 करोड़ रुपए की लागत वाली 18 परियोजनाओं (13 नई रेल लाइनें और 5 दोहरीकरण) का निर्माण कार्य चल रहा है। इनमें से 313 किलोमीटर लंबी परियोजनाएं मार्च 2024 तक चालू हो जाएंगी, और अब तक इन परियोजनाओं पर लगभग 40,549 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
पूर्वोत्तर में रेलवे नेटवर्क का विस्तार
पूर्वोत्तर भारत की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों का सामना करते हुए भारतीय रेलवे तेजी से अपनी योजनाओं को लागू कर रहा है। चट्टानों को तोड़ने, पहाड़ों को पार करने और नदियों को लांघने के बावजूद रेलवे का नेटवर्क आठ राज्यों में विस्तारित हो रहा है। पिछले दस वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेलवे के विकास की गति ढाई गुना बढ़ चुकी है। रेलवे के पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) जोन के तहत इन परियोजनाओं को कार्यान्वित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी का विशेष ध्यान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नॉर्थ ईस्ट को देश का ‘ग्रोथ इंजन’ बताते हुए इस क्षेत्र की समृद्धि पर जोर दिया है। उन्होंने पूर्वोत्तर के आठ राज्यों – अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा को ‘अष्टलक्ष्मी’ कहकर संबोधित किया है। इन राज्यों में रेलवे कनेक्टिविटी का विस्तार किए जाने से इनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।
अरुणाचल प्रदेश में नाहरलागुन तक रेलवे लाइन
अरुणाचल प्रदेश में नाहरलागुन तक रेलवे लाइन पहले ही बिछाई जा चुकी है, जो राजधानी ईटानगर से कनेक्टिविटी प्रदान करती है। इसके अलावा, मिजोरम के भैरवी-साईरंग रेल परियोजना की दिशा में भी महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है, जिससे मिजोरम को निर्बाध रेल संपर्क मिलेगा। असम के दरांग जिले से गुजरने वाली अगथोरी-डेकारगांव नई रेल लाइन परियोजना में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
सिक्किम और तिब्बत सीमा तक रेल लाइन का निर्माण
सिक्किम को पश्चिम बंगाल से जोड़ने वाली सिवोक-रंगपो रेल लाइन परियोजना की भी गति बढ़ाई जा रही है। लगभग 45 किलोमीटर लंबी यह परियोजना कंचनजंघा पर्वत श्रृंखला की तलहटी से होकर गुजरेगी, जिसमें 28 पुल और 14 सुरंगें बनेंगी। इस परियोजना का उद्देश्य सिक्किम और पश्चिम बंगाल के बीच यात्रा की सुविधा को सुलभ बनाना है। इसके अतिरिक्त, गंगटोक से नाथू ला तक रेल लाइन बनाने की योजना भी है, जिससे भारत के उत्तरी इलाके में सामरिक दृष्टि से मजबूती आएगी।
चीन सीमा तक पहुंच आसान, रणनीतिक महत्व
चीन से सटी तिब्बत सीमा पर नाथू ला तक रेलवे लाइन के निर्माण को लेकर सरकार ने स्वीकृति दे दी है। गंगटोक से नाथू ला तक करीब 160 किलोमीटर की रेल लाइन का सर्वेक्षण शुरू हो चुका है, और इस परियोजना का डिजाइन इस प्रकार किया जा रहा है कि ट्रेनें 100 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ सकें। रेलवे अधिकारियों का मानना है कि गंगटोक से सिलीगुड़ी तक यात्रा का समय अब साढ़े तीन से चार घंटे से घटकर मात्र डेढ़ से दो घंटे रह जाएगा।
पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे का विकास
भारतीय रेलवे ने 2019 में पूर्वोत्तर के कई प्रमुख क्षेत्रों में रेलवे परियोजनाओं को हरी झंडी दी थी। इनमें अरुणाचल प्रदेश में 378 किलोमीटर लंबी भालुकपोंग-तवांग लाइन, 248 किलोमीटर लंबी उत्तर लखीमपुर-सिलापाथर लाइन और मणिपुर में 110.6 किलोमीटर लंबी जिरीबाम-इंफाल ब्रॉडगेज लाइन जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं से पूर्वोत्तर के राज्यों को राष्ट्रीय नेटवर्क से जोड़ने का रास्ता साफ होगा, जिससे इन क्षेत्रों की आर्थिक और सामरिक स्थिति मजबूत होगी।
कनेक्टिविटी का विस्तार और विकास
इस क्षेत्र के लिए काम कर रही रेलवे परियोजनाओं में सुरंगों और पुलों का निर्माण प्रमुख है। मिजोरम में भैरवी-साईरंग रेल परियोजना में 12.853 किलोमीटर लंबी सुरंगें और 55 बड़े पुल शामिल हैं, जो दुर्गम इलाकों में ट्रेन संचालन को सुगम बनाएंगे। इस परियोजना का पूरा होना मिजोरम में संचार और वाणिज्यिक विकास के लिए क्रांतिकारी कदम साबित होगा।
नॉर्थ ईस्ट की रेल कनेक्टिविटी का भविष्य
नॉर्थ ईस्ट में रेल नेटवर्क का विस्तार न केवल क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी भारत की स्थिति को मजबूती प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के तहत, इन परियोजनाओं की सफलता से न केवल पूर्वोत्तर राज्यों की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि चीन और अन्य देशों के साथ सामरिक कनेक्टिविटी भी मजबूत होगी।