प्रदेशभर में छाए ठंडे मौसम में एक नई गर्माहट का आगाज हुआ है। फर्रुखाबाद के लेखपालों ने प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर एक बड़े धरना प्रदर्शन की शुरुआत की है, जिसका असर जिले की तीनों तहसीलों पर देखने को मिल रहा है।
इस धरने में शामिल लेखपालों ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है – एंटी करप्शन टीम द्वारा उनके साथ की गई बदसलूकी और रंगे हाथ रिश्वत लेने के मामले में उन्हें फंसाने का आरोप। यह घटनाक्रम जिले के कायमगंज तहसील परिसर से शुरू हुआ, जहां तहसील दिवस के दौरान लेखपाल संघ के सदस्य धरने पर बैठे। लेखपालों का कहना है कि उन्हें घेरकर एंटी करप्शन टीम द्वारा जबरदस्ती उनकी जेब में पैसे डालकर गिरफ्तार किया गया। उनका कहना है कि एंटी करप्शन टीम ने बिना किसी ठोस वजह के उन्हें रिश्वत लेने का आरोप लगाया और बाद में उन्हें रंगे हाथ पकड़ा, जो पूरी तरह से गलत था। लेखपाल संघ का कहना है कि इस मामले में उनके साथ पूरी तरह से गलत व्यवहार किया गया है, और यह उनके खिलाफ एक बड़ी साजिश हो सकती है।
धरने के दौरान लेखपालों ने यह भी आरोप लगाया कि एंटी करप्शन टीम ने उनसे कई बार रिश्वत मांगी थी, लेकिन वे इसका विरोध करते रहे। उनका कहना था कि जब उन्होंने रिश्वत देने से मना किया, तो टीम ने उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाकर उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया। लेखपालों के आरोप हैं कि यह पूरी प्रक्रिया उनके आत्मसम्मान और पेशेवर इज्जत को ठेस पहुंचाने के लिए की गई थी।
जिले के तीनों तहसीलों में, कायमगंज, शमसाबाद और फर्रुखाबाद शहर में लेखपालों का विरोध तेज हो गया है। धरने पर बैठे लेखपालों का कहना है कि जब तक उनके खिलाफ उठाए गए आरोपों को लेकर सरकार और प्रशासन स्पष्ट जवाब नहीं देता, वे अपने प्रदर्शन को जारी रखेंगे। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि एंटी करप्शन टीम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उनके द्वारा किए गए गलत कामों की जांच हो।
इस पूरे मामले में तात्कालिक प्रतिक्रिया में फर्रुखाबाद के जिलाधिकारी और एसपी ने कहा कि वे लेखपाल संघ के आरोपों की गंभीरता से जांच कर रहे हैं और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। वहीं, एंटी करप्शन टीम के अधिकारी अपनी तरफ से इन आरोपों को नकारते हुए कहते हैं कि वे सिर्फ अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे थे और मामले की जांच पूरी पारदर्शिता से की गई थी।
लेखपालों का धरना तब और तेज हो गया जब खबरें आईं कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी एंटी करप्शन टीम द्वारा इसी तरह के आरोपों को लेकर लेखपालों को परेशान किया जा रहा है। इसने आंदोलन को और भी बल दिया है और अब यह केवल फर्रुखाबाद तक सीमित नहीं रह गया है। लेखपाल संघ ने प्रदेश स्तर पर व्यापक आंदोलन की योजना बनाई है और उनका कहना है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं, तो वे और भी सख्त कदम उठाने को तैयार हैं।
उधर, इस पूरे घटनाक्रम से राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इसे प्रदेश सरकार के खिलाफ एक और बड़ा आरोप बताते हुए इस मामले में न्याय की मांग की है। उनका कहना है कि अगर सरकार लेखपालों के खिलाफ हो रहे इस तरह के उत्पीड़न पर तत्काल कार्रवाई नहीं करती, तो इसका बड़ा राजनीतिक असर हो सकता है।
अब देखना यह होगा कि यह मामला किस दिशा में बढ़ता है। क्या प्रशासन इस विवाद को सुलझाने में सफल होगा, या फिर लेखपालों का धरना प्रदर्शन और आंदोलन प्रदेशभर में फैलेगा? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है, लेकिन यह स्पष्ट है कि फर्रुखाबाद के लेखपालों के धरने से प्रदेश में हलचल मच गई है, और अब इस मामले की हर एक जानकारी पर नज़रें टिकी हुई हैं।