दिल्ली विधानसभा चुनाव की सरगर्मी एक बार फिर तेज हो गई है, और सबसे दिलचस्प मुकाबला अब नई दिल्ली विधानसभा सीट पर देखने को मिलेगा। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है, जहां आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के बीच सियासी जंग छेड़ी गई है। खास बात यह है कि इस सीट पर मुकाबला एक पूर्व मुख्यमंत्री और दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों के बीच होने जा रहा है, जिससे यह चुनावी जंग और भी दिलचस्प हो गई है।
कांग्रेस का दांव: शीला दीक्षित की विरासत पर नजर
कांग्रेस ने इस सीट से अपनी पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की कद्दावर नेता दिवंगत शीला दीक्षित के परिवार के सदस्य को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को मैदान में उतारा है। संदीप दीक्षित का दावा है कि नई दिल्ली विधानसभा में त्रिकोणीय लड़ाई नहीं हो रही है, बल्कि लोगों में कांग्रेस की सरकार के कामों को लेकर एक सकारात्मक माहौल है। उनका कहना है कि दिल्ली की जनता आज भी शीला दीक्षित के कार्यकाल को याद करती है, जब दिल्ली के विकास के लिए उन्होंने अहम कदम उठाए थे।
संदीप दीक्षित ने बीजेपी और AAP दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि इन दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों से जनता को कोई उम्मीद नहीं है। उनका कहना है कि AAP का अधिकांश वोटर शीला दीक्षित को याद कर रहा है, जबकि बीजेपी के पास दिल्ली के विकास को लेकर कोई ठोस नीति नहीं है। कांग्रेस उम्मीदवार ने कहा, “लोगों में हमारे कामों को लेकर विश्वास है, और यही वजह है कि हमें दोनों तरफ से समर्थन मिल रहा है।”
बीजेपी और AAP के उम्मीदवारों को दी चुनौती
संदीप दीक्षित ने आगे कहा, “अगर हमें महत्वपूर्ण नहीं माना जाता तो क्यों दोनों पार्टियां हमारे नाम का उल्लेख कर रही हैं?” उन्होंने दोनों प्रमुख विरोधी दलों से चुनौती दी और कहा, “अगर किसी उम्मीदवार में हिम्मत है तो वो आकर बहस करें, मैं तैयार हूं।” उनका कहना है कि अरविंद केजरीवाल में मुझसे बहस करने की हिम्मत नहीं है, और उनकी पार्टी के कार्यों को लेकर जनता में निराशा है।
संदीप दीक्षित ने बीजेपी के उम्मीदवार प्रवेश वर्मा पर भी निशाना साधते हुए कहा, “बीजेपी से किसी को तो मैदान में उतरना ही था, और प्रवेश वर्मा उस भूमिका में हैं।” उनका दावा है कि बीजेपी के उम्मीदवार का इस सीट पर कोई विशेष प्रभाव नहीं है, और उनका मुकाबला वर्मा से नहीं है।
AAP का संघर्ष: अरविंद केजरीवाल का चुनावी दांव
आम आदमी पार्टी की तरफ से इस सीट पर कोई और नहीं, बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद मैदान में हैं। यह पहली बार है जब केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया है, और वह पूरी ताकत से इस सीट को जीतने की कोशिश करेंगे। AAP के लिए यह सीट बेहद अहम है क्योंकि पार्टी की रणनीति अब इस चुनाव में अपनी सत्ता को बरकरार रखने पर केंद्रित है। केजरीवाल की रणनीति शीला दीक्षित की विरासत के खिलाफ एक नए दिल्ली के निर्माण का दावा पेश करना होगा।
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर भविष्य की दिशा तय करेगी चुनावी जंग
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर यह चुनावी मुकाबला ना केवल तीन प्रमुख दलों के बीच सियासी शक्ति का परीक्षण होगा, बल्कि यह शीला दीक्षित की राजनीतिक विरासत, अरविंद केजरीवाल की सरकार की उपलब्धियों और बीजेपी की विपक्षी राजनीति के बीच भविष्य की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है। चुनाव में जो भी पार्टी जीत हासिल करती है, वह दिल्ली के राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखती है।
कांग्रेस की ओर से विश्वास और BJP-AAP की चुनौती
हालांकि कांग्रेस का दावा है कि उनके पास बेहतर सरकार बनाने का इरादा है, लेकिन बीजेपी और AAP दोनों ने इस सीट को जीतने के लिए अपने-अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारकर एक नया राजनीतिक युद्ध छेड़ा है। इस मुकाबले में कौन बाजी मारेगा, यह दिल्ली की जनता तय करेगी, लेकिन इस सीट पर चुनावी जंग में कुछ अप्रत्याशित मोड़ आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
अब सबकी नजर इस मुकाबले पर टिकी है कि क्या कांग्रेस अपने पुराने इतिहास को फिर से दोहराएगी, या फिर AAP और बीजेपी इस सीट पर नया इतिहास रचेंगे।