अमेरिका के इतिहास में पहली बार, भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने कांग्रेस के प्रतिनिधि सभा में अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई है। इस बार 6 भारतीय-अमेरिकियों ने संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिनिधि सभा के सदस्य के रूप में शपथ ली, जो कि पहले कभी नहीं हुआ था। इनमें डॉ. अमी बेरी, सुहास सुब्रमण्यन, श्री थानेदार, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाल शामिल हैं।
“12 साल पहले मैं था अकेला, अब हम छह!”
सांसद डॉ. अमी बेरी, जिन्होंने कैलिफोर्निया से सातवीं बार प्रतिनिधि सभा के सदस्य के रूप में शपथ ली, ने इस ऐतिहासिक पल का जश्न मनाते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया। उन्होंने कहा, “जब 12 साल पहले मैंने पहली बार शपथ ली थी, तब मैं भारतीय-अमेरिकी समुदाय का अकेला सांसद था और अमेरिकी इतिहास में तीसरा। अब हम तीन नहीं, बल्कि छह हो चुके हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में अमेरिकी संसद में हमारे समुदाय के प्रतिनिधियों की संख्या और बढ़ेगी।”
सांसदों का अभूतपूर्व समर्थन और यात्रा
डॉ. बेरी के इस बयान ने भारतीय-अमेरिकी समुदाय की बढ़ती ताकत को उजागर किया है, जिनका अमेरिका की राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान है। सुहास सुब्रमण्यन, जिन्होंने इस बार पहली बार शपथ ली, ने अपनी एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें वह अपने परिवार और हाउस स्पीकर माइक जॉनसन के साथ दिखाई दे रहे थे। उन्होंने कहा, “आज मेरे काम का पहला दिन है, और अमेरिकी संसद में शपथ लेना मेरे लिए गर्व का पल है।”
इसके अलावा, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाल ने लगातार पांचवीं बार शपथ ली, जो उनकी अमेरिकी राजनीति में गहरी जड़ें स्थापित करने का संकेत है। इन नेताओं की एकजुटता और नेतृत्व से भारतीय-अमेरिकी समुदाय को अमेरिका की राजनीति में और भी अधिक प्रभावी बनने की उम्मीद है।
स्पीकर का चुनाव: माइक जॉनसन की ऐतिहासिक जीत
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के स्पीकर के रूप में माइक जॉनसन की वापसी भी एक महत्वपूर्ण घटना रही। उन्हें 218 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेटिक नेता हकीम जेफरीज़ को 215 वोट मिले। हालांकि, स्पीकर के चुनाव से पहले जॉनसन को अपनी पार्टी के कुछ सदस्यों से विरोध का सामना करना पड़ा था। विरोध करने वाले सदस्य दक्षिण कैरोलिना के राल्फ नॉर्मन और टेक्सास के कीथ सेल्फ थे, जिन्होंने शुरुआत में अन्य उम्मीदवारों का समर्थन किया था, लेकिन अंततः जॉनसन को अपना समर्थन दिया।
यह जीत माइक जॉनसन के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि उनके खिलाफ कुछ पार्टी सदस्यों ने अपनी आपत्ति जताई थी। इसके बावजूद, उन्होंने स्पीकर के रूप में चुनाव जीतकर अपना प्रभाव कायम किया।
भारतीय-अमेरिकी सांसदों की बढ़ती संख्या, एक नई राजनीतिक ताकत के रूप में उभर रही है
अमेरिका के कांग्रेस में भारतीय-अमेरिकियों का लगातार बढ़ता हुआ प्रभाव अमेरिकी राजनीति में उनके योगदान को और मजबूत कर रहा है। यह न केवल भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए गर्व का पल है, बल्कि अमेरिकी राजनीति में विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। जैसे-जैसे भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्य संसद में अपनी भूमिका निभा रहे हैं, यह उनके योगदान को अगले स्तर तक ले जाने की दिशा में एक बड़ी छलांग है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वर्षों में और कितने भारतीय-अमेरिकी नेता कांग्रेस के उच्च पदों तक पहुंचते हैं और अमेरिकी राजनीति में अपनी छाप छोड़ते हैं।