बिहार में बीपीएससी परीक्षा के विवाद को लेकर गहरी उथल-पुथल मच गई है, और राज्य के युवा सड़क पर उतर आए हैं। यह आंदोलन अब अपने चरम पर है, जहां सांसद पप्पू यादव और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के नेतृत्व में पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गए हैं।आज, 3 जनवरी को, पप्पू यादव ने बिहार बंद का आह्वान किया, जिसके बाद उनकी ओर से समर्थकों ने पूरे बिहार में रेलवे ट्रैक और सड़कों को जाम कर दिया। पटना में सचिवालय हाल्ट पर ट्रेन रोकने से लेकर बेगूसराय और मधेपुरा में सड़कों पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए।
आंदोलन का यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा जब तक बीपीएससी परीक्षा को रद्द नहीं किया जाता और परीक्षा के पूरे तरीके की जांच नहीं की जाती।
पप्पू यादव ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक बीपीएससी परीक्षा को दोबारा नहीं कराया जाता। उन्होंने बीपीएससी में हो रही कथित अनियमितताओं पर गंभीर आरोप लगाए, और कहा, “बीपीएससी में बहाली के जरिए करोड़ों का खेल खेला जा रहा है। सरकार भले ही हमारी न सुने, लेकिन हम बीपीएससी अभ्यर्थियों के समर्थन में लड़ाई जारी रखेंगे।” पप्पू यादव का यह विरोध पूरी तरह से राज्य के युवाओं के भविष्य को लेकर है, और वह इसे लेकर किसी भी तरह की कोताही को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं हैं।
इसी बीच, जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर भी आंदोलन में कूद पड़े हैं। वह पटना के गांधी मैदान में अनशन पर बैठे हैं, और उनके समर्थन में सैकड़ों छात्र भी नारेबाजी कर रहे हैं। हालांकि, प्रशासन ने उन्हें गांधी मैदान में धरने की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन प्रशांत किशोर ने इसे पूरी तरह से असंवैधानिक बताया। उन्होंने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा, “अगर दिल्ली में किसान सड़क पर बैठ सकते हैं, तो बिहार के गांधी मैदान में प्रदर्शन करना क्यों अवैध है?” उन्होंने आगे कहा, “हम न तो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचा रहे हैं, न ही किसी प्रकार का हंगामा कर रहे हैं।”
बीपीएससी परीक्षा को लेकर बिहार में बवाल लगातार बढ़ता जा रहा है, और छात्र नेताओं का कहना है कि जब तक इस परीक्षा में हुई धांधली को लेकर पूरी परीक्षा रद्द नहीं की जाती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। पप्पू यादव के नेतृत्व में युवा शक्ति के छात्रों ने बेगूसराय में एनएच 31 को जाम कर दिया, जिससे वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और यातायात पूरी तरह से ठप हो गया। उनका कहना है कि नीतीश सरकार ने छात्रों पर लाठीचार्ज कर उन्हें दबाने की कोशिश की है, लेकिन वे अपनी आवाज़ नहीं दबने देंगे।
इस प्रदर्शन की गूंज अब न केवल पटना बल्कि राज्य के अन्य हिस्सों में भी सुनाई दे रही है। मधेपुरा में भी छात्रों ने सड़कों को जाम कर विरोध जताया और बिहार सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। युवा शक्ति के नेता पिंटू कुमार ने कहा, “हमारी मांग है कि बीपीएससी परीक्षा को पूरी तरह से रद्द कर दिया जाए और फिर से परीक्षा ली जाए। हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी आवाज़ नहीं सुनी जाती।”
इस बीच, प्रशांत किशोर ने यह भी सवाल किया कि बीते कुछ दिनों में किसान आंदोलन को बिना किसी रोक-टोक के प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई, लेकिन बिहार में उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन को अवैध करार क्यों दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश सरकार ने अभी तक पेपर लीक मामले में किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे युवाओं का भविष्य प्रभावित हो रहा है। उन्होंने बिहार के युवाओं से जुड़ी इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग की।
इस आंदोलन के बीच एक और दिलचस्प मोड़ तब आया जब पप्पू यादव ने अपने समर्थकों को चक्का जाम के लिए सड़कों और रेल ट्रैक पर उतार लिया। पटना में सचिवालय हाल्ट पर विरोध प्रदर्शन के दौरान उनके समर्थक ट्रेन रोकने में सफल रहे और इंजन पर चढ़कर नारेबाजी की। कुछ देर बाद पटना पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों को ट्रैक से हटाया, और ट्रेन फिर से अपनी मंजिल की ओर बढ़ी।
हालांकि प्रशासन ने यह विरोध पूरी तरह से अवैध करार दिया और एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी, लेकिन यह आंदोलन अभी भी अपनी पूरी ताकत से जारी है। बिहार के युवा अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर हैं, और उनका कहना है कि जब तक बीपीएससी परीक्षा को रद्द नहीं किया जाएगा और दोबारा परीक्षा नहीं कराई जाएगी, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
बिहार में यह आंदोलन एक नया मोड़ ले चुका है, और अब यह केवल बीपीएससी परीक्षा के खिलाफ नहीं, बल्कि राज्य सरकार के खिलाफ एक बड़ा संघर्ष बनता जा रहा है। क्या बिहार सरकार इस आंदोलन के सामने झुकेगी, या फिर युवा शक्ति अपने हक के लिए संघर्ष जारी रखेगी? यह सवाल अब बिहार की राजनीति में तूल पकड़ चुका है।