जहां दुनिया भर में नए साल के स्वागत के साथ खुशी और उम्मीदों का माहौल था, वहीं गाजा में 2025 का पहला दिन खून से सना हुआ रहा। गाजा की जंग 453वें दिन में प्रवेश कर गई है, और इजराइल ने साल के पहले दिन भी गाजा पर बमबारी जारी रखी, जिससे स्थिति और भी भयावह हो गई। बुधवार को उत्तरी जबालिया और केंद्रीय अल-बुरीज शिविर में इजराइली हमले में कम से कम 17 फिलिस्तीनी मारे गए, जबकि राहत शिविरों में ठंड और बारिश ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
राहत शिविरों में रहने वाले लोग ठंड से जूझ रहे हैं, और हाल की बारिश ने स्थिति को और खराब कर दिया है। बारिश के कारण शिविरों के टेंटों में पानी भर गया है, और इजराइल द्वारा गाजा में खाद्य और चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति पर पाबंदी लगाए जाने के कारण हालात और भी खराब हो गए हैं। इससे स्थानीय निवासियों की जीवन-यात्रा और कठिन हो गई है, और मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
इजराइल के हमलों के पीछे उनका तर्क है कि फिलिस्तीनी सशस्त्र समूह इन राहत सुविधाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि यह तर्क पूरी तरह से गलत है। UN के अनुसार, इजराइल के हमलों ने गाजा के अस्पतालों की हेल्थ सर्विस को लगभग नष्ट कर दिया है, और इस कारण वहां इलाज की सुविधाओं की कमी हो रही है।
हमास का जवाब: इजराइली बस्तियों पर रॉकेट हमला
इजराइल के हमले के बावजूद, हमास की सैन्य शाखा अल-कस्साम ब्रिगेड ने अपनी गतिविधियों को जारी रखा है। उसने इजराइली नेटिवोट बस्ती पर रॉकेटों की बौछार की, जिससे गाजा से लगे इजराइली सेटलमेंट में सायरन बजने लगे और नए साल की शुरुआत में ही युद्ध का माहौल बन गया। इस संघर्ष ने दोनों पक्षों के बीच हिंसा की एक नई लहर को जन्म दिया है, जो बिना किसी समाधान के लगातार बढ़ रही है।
गाजा की जंग की भयावह स्थिति
7 अक्टूबर 2023 से गाजा पर इजराइली हमलों में अब तक कम से कम 45,541 फिलिस्तीनी अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि 108,338 से ज्यादा घायल हुए हैं। इजराइल में 7 अक्टूबर को हुए हमास के नेतृत्व वाले हमलों में 1,139 इजराइली नागरिक मारे गए थे और 200 से ज्यादा लोग बंदी बनाए गए थे। इस संघर्ष ने क्षेत्र में मौत, तबाही और मानवीय संकट को नया आयाम दिया है।
गाजा में वर्तमान स्थिति बेहद गंभीर है, और दोनों पक्षों के हमले और जवाबी हमले किसी शांतिपूर्ण समाधान की ओर बढ़ते हुए नहीं दिख रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं स्थिति को नियंत्रित करने के लिए दबाव बना रही हैं, लेकिन हिंसा की यह चक्रव्यूह अभी भी जारी है।