संभल के जामा मस्जिद के पास निर्माणाधीन पुलिस चौकी को लेकर विवाद छिड़ गया है। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस चौकी के निर्माण को वक्फ की जमीन पर होने का दावा किया है, जिससे राजनीतिक हलचल मच गई है। ओवैसी का कहना है कि यह पुलिस चौकी उस भूमि पर बनाई जा रही है, जो वक्फ की है, और उन्होंने इसके निर्माण को अवैध करार दिया है। इस बयान के बाद महाकुंभ में शामिल साधु-संतों ने कड़ी आपत्ति जताई है और मामले में अपना विरोध दर्ज कराया है।
ओवैसी का दावा और विवाद की शुरुआत
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट साझा करते हुए आरोप लगाया कि संभल में जामा मस्जिद के पास जो पुलिस चौकी बन रही है, वह वक्फ की जमीन पर है। उन्होंने कहा कि यह तथ्य रिकॉर्ड में दर्ज है और इस पर निर्माण करना भारतीय कानूनों का उल्लंघन है। ओवैसी ने यह भी कहा कि प्राचीन स्मारक अधिनियम के तहत संरक्षित स्मारकों के पास किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं है, और इस मामले में सरकार जानबूझकर कानून का उल्लंघन कर रही है।
ओवैसी ने आगे कहा, “यह वक्फ नंबर 39-A, मुरादाबाद है, और यह उसी जमीन का वक्फनामा है, जिस पर पुलिस चौकी का निर्माण हो रहा है।” उनका आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संभल में एक खतरनाक माहौल बना रहे हैं। ओवैसी ने यह भी कहा कि सरकार को कानून का कोई सम्मान नहीं है और यह संविधान की अवहेलना है।
साधु-संतों का आक्रोश
ओवैसी के आरोपों पर महाकुंभ में पहुंचे साधु-संतों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने ओवैसी के बयान पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा, “वक्फ की जमीन भारत में कहीं नहीं है, वह पाकिस्तान की जमीन है। भारत में वक्फ की कोई जमीन नहीं हो सकती, यह केवल सनातन धर्म की भूमि है।” उन्होंने कहा कि सनातन बोर्ड के तहत भारत में जो भूमि होगी, वही हमारी रहेगी, और हम अपनी भूमि का स्वामित्व बनाए रखेंगे। रविंद्र पुरी और अन्य साधु-संतों ने जोर देकर कहा कि ओवैसी को पाकिस्तान में जाकर अपनी जमीन लेने का अधिकार है, लेकिन भारत में वक्फ की कोई ज़मीन नहीं हो सकती।
कुछ संतों ने इस मामले को सुरक्षा की दृष्टि से सही ठहराया। उनका कहना था कि पुलिस चौकी का निर्माण इसलिए किया जा रहा है ताकि भविष्य में वहां कोई सांप्रदायिक हिंसा न हो और प्रदेश में शांति बनाए रखी जा सके। उनका कहना था कि चाहे जमीन किसी की भी हो, पुलिस चौकी का उद्देश्य केवल सुरक्षा बढ़ाना है।
बीजेपी का पलटवार
ओवैसी के आरोपों पर भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि क्या ओवैसी चाहते हैं कि संभल में पुलिस चौकी न बने और वह जगह आतंकियों के लिए अड्डा बन जाए? भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा, “ओवैसी के पास कौन सी दूरबीन है, जिससे वह यह देख सकते हैं कि कौन सी जमीन वक्फ की है और कौन सी नहीं?” उन्होंने यह भी पूछा कि अगर ओवैसी को इस मुद्दे में इतना ही विश्वास है तो क्यों नहीं वह वक्फ ट्रिब्यूनल में मामला उठाते? शुक्ला ने यह भी कहा कि ओवैसी को आरोप लगाने से पहले तथ्यों की जांच करनी चाहिए और सरकार के निर्णय पर सवाल उठाने से पहले कानूनी रास्ता अपनाना चाहिए।
विवाद की गहराई
यह मामला सिर्फ जमीन के स्वामित्व का नहीं, बल्कि देश के सांप्रदायिक माहौल और राजनीतिक समीकरणों का भी है। ओवैसी के बयान ने जहां एक ओर वक्फ के मुद्दे को उभारा है, वहीं साधु-संतों का तीखा विरोध भी धार्मिक और राजनीतिक तंत्र के बीच की खाई को उजागर करता है। कुछ लोग इसे एक जरूरी सुरक्षा उपाय मानते हैं, जबकि अन्य इसे सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने का प्रयास समझते हैं।
भविष्य की दिशा
संभल में पुलिस चौकी का निर्माण एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है, और यह विवाद अब केवल वक्फ की भूमि तक ही सीमित नहीं है। यह सवाल उठाता है कि क्या इस मुद्दे के माध्यम से सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है, या फिर यह केवल एक सुरक्षा उपाय है। इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल इस मुद्दे पर राजनीतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से घमासान जारी है।