किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होने जा रही है, जिससे राजनीतिक और कानूनी हलकों में हलचल मच गई है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सुधांशु धूलिया की वेकेशन बेंच सुबह 11 बजे मामले की सुनवाई करेगी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उन किसान नेताओं पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी, जो डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती होने से रोक रहे थे। कोर्ट ने यह तक कहा था कि किसी भी व्यक्ति को चिकित्सा सहायता से वंचित रखना एक गंभीर अपराध है, और इसे आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा माना जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को सख्त निर्देश दिए थे कि वे डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करने में कोई रुकावट न डालें और अगर ज़रूरत पड़ी तो केंद्र से सहायता लेने के लिए भी तैयार रहें। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था, “अगर पंजाब सरकार को मदद की आवश्यकता है, तो हम आदेश देने के लिए तैयार हैं, लेकिन कोर्ट के आदेश का पालन हर हाल में होना चाहिए।” इसके साथ ही जस्टिस सुधांशु धूलिया ने भी चिंता जताई थी कि कुछ किसान नेता डल्लेवाल की सेहत के प्रति लापरवाही बरत रहे हैं और उनकी जान को खतरे में डाल रहे हैं।
पंजाब सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि कुछ किसान नेता डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती होने से रोक रहे हैं, जबकि उनकी हालत गंभीर होती जा रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि “क्या ये किसान नेता वास्तव में किसानों के नेता हैं या कुछ और?” वहीं, पंजाब सरकार ने डल्लेवाल को मनाने के लिए प्रयासों को तेज कर दिया है। सोमवार को पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जसकरण सिंह के नेतृत्व में पंजाब सरकार की एक टीम ने डल्लेवाल से मुलाकात की और उन्हें चिकित्सा सहायता लेने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फिर से इनकार कर दिया।
आपको बता दें कि डल्लेवाल की भूख हड़ताल का आज 35वां दिन है, और उनकी स्थिति दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 31 दिसंबर तक पंजाब सरकार को डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया था, और अगर जरूरत पड़ी तो केंद्र सरकार से मदद लेने का भी निर्देश दिया था। ऐसे में आज की सुनवाई बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, क्योंकि इससे न सिर्फ डल्लेवाल के इलाज का रास्ता साफ हो सकता है, बल्कि यह भी पता चलेगा कि कोर्ट के आदेश का पालन कितना प्रभावी ढंग से किया जा रहा है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पंजाब सरकार और किसान नेता डल्लेवाल की जान बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे, या फिर यह मामला और उलझ सकता है।