उत्तर प्रदेश के कानपुर में सोमवार रात को चकेरी थाना क्षेत्र में एक चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया। भाजपा नेता हर्ष प्रताप सिंह चौहान और पुलिस के बीच तीखी बहस हो गई, जिसके बाद दो सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया। मामला उस समय तूल पकड़ा जब हर्ष कुमार विश्वकर्मा की हत्या के बाद शव के साथ मुआवजे की मांग को लेकर परिजनों ने हंगामा किया।
यह घटना उस समय घटी जब हर्ष प्रताप सिंह चौहान, भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष, अपने समर्थकों के साथ हर्ष के परिजनों के साथ मुआवजे की मांग के लिए मौके पर पहुंचे। जब उन्होंने हंगामा करते हुए सड़क पर जाम लगाने की कोशिश की, तो चकेरी थाना प्रभारी अशोक दुबे से उनकी बहस हो गई।
इस बहस के दौरान थाना प्रभारी ने हर्ष प्रताप से पूछा कि क्या वह पढ़े-लिखे हैं, तो हर्ष प्रताप ने जवाब दिया कि उन्होंने एमबीए किया है। लेकिन जैसे ही उन्होंने यह बताया कि वह भाजपा नेता हैं, थाना प्रभारी का गुस्सा फूट पड़ा। थाना प्रभारी ने हर्ष प्रताप को तुरंत थाने ले जाने का आदेश दिया और पुलिसकर्मियों ने उन्हें जबरदस्ती थाने में बंद कर दिया।
इस घटना के बाद भाजपा नेताओं और उनके समर्थकों में गुस्से की लहर दौड़ गई। एडीसीपी और एसीपी के हस्तक्षेप के बाद मौके पर एसडीपीओ और एएसपी पहुंचे और स्थिति को शांत कराया। भाजपा नेता और उनके समर्थक थाने पहुंचकर हर्ष प्रताप की रिहाई की मांग करने लगे, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें रिहा कर दिया। साथ ही, पुलिस विभाग ने घटना में लिप्त दो सिपाहियों को निलंबित कर दिया।
हालांकि, भाजपा नेता अब थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस घटना ने न केवल पुलिस और भाजपा के रिश्तों में खटास पैदा की, बल्कि कानपुर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।