दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और मुख्यमंत्री आतिशी के बीच तीखी जुबानी जंग छिड़ी है, जब उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री को ‘अस्थाई’ और ‘काम चलाऊ’ कहे जाने पर कड़ी आपत्ति जताई। इस घटना ने दिल्ली के राजनीतिक माहौल में एक नई हलचल मचा दी है, और दोनों पक्षों के बीच इस मुद्दे पर मंथन तेज हो गया है।
वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री आतिशी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल द्वारा आतिशी को ‘अस्थाई मुख्यमंत्री’ कहे जाने को अपमानजनक बताया। उपराज्यपाल ने यह आरोप लगाया कि केजरीवाल का यह बयान न केवल आतिशी का बल्कि उनके खुद के, जो कि भारत की राष्ट्रपति के प्रतिनिधि हैं, अपमान था। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सार्वजनिक बयान से संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की निंदनीय अवहेलना हुई है।
पत्र में उपराज्यपाल ने कहा, “यह बयान न केवल आपके बल्कि मेरी भी छवि को नुकसान पहुंचाने वाला है। यह गंभीर चिंता का विषय है कि आपको ‘अस्थाई मुख्यमंत्री’ के रूप में प्रस्तुत किया गया। एक मुख्यमंत्री को इस तरह से नकारा करना संविधान की भावना के खिलाफ है।” इसके बाद उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार की विफलताओं का भी जिक्र करते हुए कहा कि पिछले 10 सालों में दिल्ली में कई मुद्दे उभर कर आए हैं, जैसे यमुना की बदहाल स्थिति, पानी की कमी, कचरे के पहाड़, स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति आदि। उन्होंने यह सवाल उठाया कि अगर मुख्यमंत्री को ‘अस्थाई’ और ‘काम चलाऊ’ घोषित किया गया है, तो इन मुद्दों पर समाधान निकालने के लिए कितनी संभावना है?
सक्सेना ने यह भी कहा कि दिल्ली में सरकार की योजनाओं और घोषणाओं में पारदर्शिता की कमी है। उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाया कि वे असत्य योजनाओं की घोषणाएं कर रहे हैं और मीडिया में झूठे प्रचार प्रसार कर रहे हैं। खासकर उन्होंने महिला सम्मान योजना और वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित योजनाओं का जिक्र किया, जिनमें भ्रम पैदा किया गया है।
इसी बीच, मुख्यमंत्री आतिशी ने उपराज्यपाल के पत्र का कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल को गंदी राजनीति करने की बजाय दिल्ली की बेहतरी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अरविंद केजरीवाल ने पिछले साढ़े नौ सालों में दिल्ली के विकास के लिए कठिन परिश्रम किया है और उनका ही रास्ता अपनाते हुए वे सरकार चला रही हैं।
आतिशी ने उपराज्यपाल के पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं आहत हूं कि आपने महिला सम्मान योजना में अड़ंगे डालने की कोशिश की। एक महिला के रूप में, मुझे यह व्यक्तिगत रूप से आहत करता है।” उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल का पत्र रचनात्मक सहयोग की बजाय आलोचना पर आधारित था, और इस प्रकार की राजनीति से दिल्ली की जनता को कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने आगे कहा कि शासन को हमेशा राजनीति से ऊपर रहना चाहिए, और वह इस भावना से उपराज्यपाल से काम करने का आग्रह करती हैं।
इस पूरे मामले ने दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य को और भी ज्यादा जटिल बना दिया है। जहां एक ओर उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली सरकार की योजनाओं और उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
अब सवाल यह उठता है कि क्या इस विवाद का असर दिल्ली विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा? क्या यह जुबानी जंग दिल्ली सरकार की छवि को प्रभावित करेगी, या फिर जनता इस पर ध्यान न देते हुए अपने ही मुद्दों पर ध्यान केंद्रित रखेगी? समय ही बताएगा कि इस राजनीतिक घमासान का परिणाम क्या होगा।