दुनिया भर में संघर्ष और युद्ध के कारण शरणार्थियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है। 2024 में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) के अनुसार, शरणार्थियों की संख्या 122 मिलियन तक पहुंच गई है, जो कि साल 2023 से कहीं अधिक है। यह वृद्धि मुख्य रूप से दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जारी संघर्षों और युद्धों के कारण हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोग अपनी जान बचाने के लिए अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं।
कई संघर्षों का कारण बने बढ़ते आंकड़े
सूडान में जारी गृहयुद्ध, इजराइल और हमास के बीच का संघर्ष, लेबनान में अस्थिरता, और रूस-यूक्रेन युद्ध ने शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि का प्रमुख कारण बने हैं। इन युद्धों और संघर्षों ने लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों की तलाश में अपने देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। इनमें से कुछ देश, जैसे सूडान, जहां अब तक 11.8 मिलियन लोग विस्थापित हो चुके हैं, शरणार्थियों के लिए सबसे बड़ी उत्पत्ति स्थल बने हैं।
यूएनएचसीआर के जर्मनी स्थित राष्ट्रीय निदेशक, पीटर रूहेनस्ट्रोथ-बाउर ने इन आंकड़ों को गंभीर रूप से चिंताजनक बताया। उन्होंने कहा, “हर व्यक्ति अपनी सुरक्षा और भविष्य के लिए बेहतर अवसर चाहता है। हमें इन शरणार्थियों के लिए अधिक सुरक्षा और अवसर बढ़ाने की आवश्यकता है।”
यूक्रेन, सूडान और गाजा से पलायन
2023 में जहां यूक्रेन से सबसे ज्यादा शरणार्थी पलायन कर रहे थे, वहीं 2024 में सूडान में चल रहे गृहयुद्ध के चलते इस संख्या में भारी इजाफा हुआ है। यूएनएचसीआर के अनुसार, कांगो, म्यांमार और लेबनान के संकटों ने भी शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि की है। इन देशों में संघर्ष और असुरक्षा ने लाखों लोगों को अन्य देशों में शरण लेने के लिए मजबूर किया है।
इजराइल और हमास के बीच युद्ध के कारण गाजा के लोग भी अपनी जान बचाने के लिए पलायन कर रहे हैं। इसके अलावा, लेबनान में भी संघर्षों के चलते 1.7 मिलियन से अधिक लोग अपने घर छोड़ चुके हैं।
विश्वभर में शरणार्थी संकट
जर्मनी में, जहां शरणार्थियों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है, पीटर रूहेनस्ट्रोथ-बाउर ने शरणार्थियों के लिए सुरक्षा और समृद्धि बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर युद्धों और संघर्षों के कारण शरणार्थी संकट बढ़ता है, तो इसे हल करने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।
नए आंकड़ों पर वैश्विक प्रतिक्रिया
कई देशों में शरणार्थियों की बढ़ती संख्या ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस संकट को हल करने के लिए नए उपायों की तलाश करने की आवश्यकता की ओर इंगीत किया है। कई शरणार्थी, जो अपने देश के संघर्षों से बचने के लिए अन्य देशों में शरण ले रहे हैं, उन्हें अपनी स्थिति बेहतर करने के लिए न केवल सुरक्षा की आवश्यकता है, बल्कि उनके लिए भविष्य के अवसर भी बेहद अहम हैं।
2024 में, शरणार्थियों की संख्या 122 मिलियन तक पहुंचने से यह स्पष्ट होता है कि दुनियाभर में युद्ध, संघर्ष और असुरक्षा का स्तर बढ़ता जा रहा है, और इस संकट से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर संजीदगी से कदम उठाने की आवश्यकता है।