रविवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाया, जिसमें उन्होंने पार्टी पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद खड़ा करने का प्रयास करने का आरोप लगाया। यह टिप्पणी उस समय आई जब केंद्र सरकार ने मनमोहन सिंह की विरासत को सम्मानित करने के लिए एक स्मारक बनाने की घोषणा की थी। सीएम सरमा ने कांग्रेस की ओर से पूर्व प्रधानमंत्रियों की उपेक्षा को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं है जब पार्टी ने अपने ही नेताओं के प्रति इस तरह का व्यवहार किया है। उनका कहना था कि कांग्रेस ने न सिर्फ मनमोहन सिंह, बल्कि नरसिंह राव और प्रणब मुखर्जी जैसी महान शख्सियतों के प्रति भी असंवेदनशीलता दिखाई है।
मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है, जब कांग्रेस ने केंद्र पर आरोप लगाया है कि उसने मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर अपमानजनक कदम उठाया है। पार्टी का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किया, जबकि उनके लिए एक उपयुक्त स्मारक स्थापित किया जा सकता था। कांग्रेस के नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर उनकी श्रद्धांजलि के स्थान को लेकर राजनीति शुरू कर दी है।
कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति
इस बीच, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा था कि बीजेपी ने मनमोहन सिंह का “पूर्णत: अपमान” किया है। राहुल गांधी का कहना था कि केंद्र सरकार ने मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के लिए निगमबोध घाट का चयन कर उन्हें अपमानित किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के स्थान के चयन को राजनीतिक रूप से भुना रही है।
इस पर जवाब देते हुए बीजेपी ने कांग्रेस पर पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार को लेकर “सस्ती राजनीति” करने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पहले ही मनमोहन सिंह की स्मृति में एक स्मारक स्थापित करने का निर्णय लिया है, और इसके बारे में उनके परिवार को सूचित कर दिया गया है। बीजेपी का कहना था कि मनमोहन सिंह की विरासत को सम्मान देने के लिए एक उपयुक्त स्थान आवंटित किया जाएगा, लेकिन कांग्रेस ने इस मुद्दे पर राजनीति शुरू कर दी है।
हिमंत बिस्वा सरमा की भावुक टिप्पणी
सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने इस विवाद पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, “मनमोहन सिंह जैसे अद्वितीय गरिमा और बुद्धि के धनी राजनेता को जीवन और मृत्यु में इससे बेहतर सम्मान मिलना चाहिए था। यह बेहद निराशाजनक है कि कांग्रेस पार्टी इस शोक की घड़ी में भी राजनीति करने की कोशिश कर रही है, जो उनके अंतिम संस्कार की गरिमा को कम कर रही है।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने मनमोहन सिंह की विरासत के सम्मान में एक उपयुक्त स्मारक बनाने की घोषणा की है, जो राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतीक होगा।
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि यह समय राजनीति करने का नहीं, बल्कि मनमोहन सिंह की स्मृति को उनके कद के अनुरूप सम्मानित करने का है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा, “कुछ लोग इस दुखद समय को राजनीतिक अवसर बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो बेहद दुखद है।” उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस के नेता, विशेषकर राहुल गांधी, ने उन्हें अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ा, जिनकी छवि देश की स्मृति में हमेशा दर्ज रहेगी।
राजनीतिक अवसरवाद से न घेरें मनमोहन सिंह की विरासत
सीएम सरमा ने अपनी पोस्ट में आगे कहा, “मनमोहन सिंह की मृत्यु के बाद उनकी विरासत को राजनीतिक अवसरवाद से कलंकित नहीं किया जाना चाहिए। यह उनके योगदान और सेवा के लिए उनका उचित सम्मान होगा। आइए हम उनकी स्मृति को उस गरिमा और सम्मान के साथ सम्मानित करें, जिसके वे पूरी तरह से हकदार हैं। कांग्रेस को अपने मतभेदों और राजनीतिक उद्देश्यों से इस शोक की घड़ी को छेड़ने का कोई अधिकार नहीं है।”
उनकी यह टिप्पणी तब आई है जब देश में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के योगदान और उनके जीवन को लेकर बहस तेज हो गई है। एक ओर जहां बीजेपी ने मनमोहन सिंह के सम्मान में स्मारक बनाने की बात की है, वहीं कांग्रेस ने इसे राजनीति का हिस्सा बनाते हुए एक गंभीर विवाद खड़ा कर दिया है। इस पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति अब और तेज हो गई है।
कांग्रेस की चिंता और बीजेपी का रुख
कांग्रेस का कहना है कि मनमोहन सिंह की अंतिम यात्रा को लेकर केंद्र सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वह उनकी विरासत और सम्मान के अनुरूप नहीं थे। इसके विपरीत, बीजेपी का कहना है कि मनमोहन सिंह की विरासत को उचित सम्मान देने के लिए सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वह सही हैं और कांग्रेस को इस समय राजनीति करने से बचना चाहिए।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या घटनाक्रम होते हैं और क्या कांग्रेस और बीजेपी के बीच की यह राजनीति अब और उग्र हो जाएगी, या फिर शोक की इस घड़ी में दोनों पक्ष कुछ शांतिपूर्वक समाधान तक पहुंचने में सफल होंगे।