पटना की सड़कों पर अब तक का सबसे तेज़ी से बढ़ता आंदोलन उभर रहा है। बीपीएससी 70वीं पीटी को रद्द करने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी रखा है, लेकिन रविवार (30 दिसंबर) को स्थिति बिल्कुल अलग थी यह सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं था, यह छात्रों की एकजुटता और उनके अधिकारों के लिए एक निर्णायक लड़ाई का प्रतीक बन चुका है। इस आंदोलन ने अब तक की सारी सीमाओं को पार कर लिया है, जहां एक तरफ अभ्यर्थियों का गुस्सा फूट पड़ा, वहीं दूसरी ओर पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए इस विरोध को दबाने का प्रयास किया।
vo- गांधी मैदान में आयोजित छात्र संसद के बाद, जहां अभ्यर्थियों ने अपने मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया, प्रशांत किशोर की अगुवाई में एक मार्च की शुरुआत हुई। हालांकि, जेपी गोलंबर के पास प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेड्स लगा दिए। इसके बावजूद, छात्रों ने विरोध जारी रखते हुए बैरिकेड्स को तोड़ते हुए आगे बढ़ने का प्रयास किया। जब उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं और पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पहले वाटर कैनन का इस्तेमाल किया और फिर लाठीचार्ज कर उन्हें तितर-बितर कर दिया। इस दौरान, पुलिस और छात्रों के बीच तीखी झड़पें होती रहीं। इन घटनाओं के बीच, महिलाओं सहित आठ लोग घायल हो गए और उन्हें पीएमसीएच अस्पताल ले जाया गया। वहीं, 12 अभ्यर्थियों को हिरासत में लिया गया। शहरी इलाके में स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि पटना की प्रमुख सड़कों पर भारी जाम लग गया। लोगों को घंटों तक जाम में फंसा रहना पड़ा।
गांधी मैदान से लेकर जेपी गोलंबर तक का क्षेत्र रणक्षेत्र में तब्दील हो गया, जहां छात्र अपनी आवाज को बुलंद कर रहे थे और पुलिस अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर रही थी। शाम सात बजे, जब प्रशांत किशोर वहां से चले गए, तो पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया, लेकिन इसके बाद भी प्रदर्शनकारियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ।
प्रशांत किशोर, जो इस आंदोलन के प्रमुख चेहरा बने हुए हैं, ने अभ्यर्थियों को संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया। उन्होंने छात्रों से कहा कि यह लड़ाई केवल एक दिन की नहीं, बल्कि एक लंबी प्रक्रिया होगी। प्रशांत ने यह भी कहा कि बिहार के छात्रों को एकजुट होकर अपनी लड़ाई को अंतिम परिणाम तक पहुंचाना होगा, जैसे किसान आंदोलन ने दिल्ली में अपनी लंबी बैठकों और संघर्ष के बाद सफलता हासिल की थी।
प्रशांत किशोर ने छात्रों से कहा, “यह लड़ाई सिर्फ नारे लगाने से नहीं जीती जा सकती। हमें इसे दूर तक ले जाना होगा। यह सरकार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है और हम इसे खत्म करने तक नहीं रुकेंगे।”
इस आंदोलन की गूंज राज्य की राजनीति में भी सुनाई देने लगी है। विपक्ष, खासकर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने छात्रों के साथ बर्बर व्यवहार किया और यह पूरी कार्रवाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारे पर हुई। तेजस्वी ने यह भी कहा कि कुछ लोग इस आंदोलन को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं, और प्रशांत किशोर पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने इसे हाईजैक करने की कोशिश की।
कांग्रेस, सीपीआई और आम आदमी पार्टी ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया और छात्रों के खिलाफ पुलिस बल के प्रयोग की निंदा की। AISA ने तो 30 दिसंबर को बिहार बंद और चक्का जाम का ऐलान कर दिया है।
बीपीएससी अभ्यर्थियों ने पिछले 11 दिनों से सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी। अब वे सर्दी और पुलिस की हिंसा के बावजूद लगातार अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। गांधी मैदान से छात्रों ने मुख्यमंत्री आवास के लिए मार्च किया, लेकिन पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोक लिया। जेपी गोलंबर तक पहुंचे छात्रों पर जब पानी की बौछारें की गईं, तो स्थिति और भी खराब हो गई।
पुलिस के अनुसार, छात्रों ने प्रशासन की चेतावनी के बावजूद गांधी मैदान में अनधिकृत प्रदर्शन किया था और जेपी गोलंबर पर सड़कों पर लेटकर यातायात अवरुद्ध किया था। प्रशासन ने उनके साथ बार-बार संवाद की कोशिश की, लेकिन छात्रों ने बातचीत से मना कर दिया। इस वजह से पुलिस को वाटर कैनन और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा।
प्रशासन का कहना है कि मुख्य सचिव ने छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलने की पेशकश की थी, लेकिन छात्र उनकी बातों को नकारते हुए अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं। गांधी मैदान से लेकर जेपी गोलंबर तक छात्रों का संघर्ष अब एक निर्णायक मोड़ पर है। छात्र नेताओं का कहना है कि इस आंदोलन को बिना किसी परिणाम के समाप्त नहीं होने दिया जाएगा।
अब सवाल यह है कि क्या यह आंदोलन राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाएगा? क्या बीपीएससी परीक्षा को रद्द करने की मांग को स्वीकार किया जाएगा या फिर यह आंदोलन और अधिक उग्र रूप लेगा? एक तरफ अभ्यर्थियों का गुस्सा और दूसरी तरफ सरकार का सख्त रुख, पटना की सड़कों पर यह संघर्ष किसी निर्णायक मोड़ की ओर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है।