“क्या हनुमान जी थे राजभर जाति से? ओम प्रकाश राजभर का हैरान करने वाला दावा”

उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने शनिवार को एक अजीबोगरीब दावा किया, जिसने राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हलचल मचा दी। बलिया जिले के चितबड़ागांव में एक जनसभा के दौरान राजभर ने कहा कि हनुमान जी राजभर जाति में पैदा हुए थे। उनके इस बयान से जहां कुछ लोग हैरान हैं, वहीं कुछ इसे एक बयानबाजी का हिस्सा मान रहे हैं।

राजभर ने कहा कि जब राम के भाई लक्ष्मण को अहिरावण ने पाताल लोक में बंदी बना लिया था, तो उसे मुक्त करने की हिम्मत केवल हनुमान जी में थी। उन्होंने आगे कहा, “गांव में बुजुर्ग आज भी छोटे बच्चों के झगड़े में कहते हैं कि ‘भर बानर हैं’, यानी हनुमान जी की तरह मजबूत और शक्तिशाली हैं।” ओम प्रकाश राजभर का यह बयान तब आया जब उन्होंने चितबड़ागांव के वासुदेवा गांव में महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा निर्माण के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम में भाग लिया था।

राजभर के इस बयान ने धार्मिक और जातिगत बहस को जन्म दिया है, खासकर तब जब शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी ने हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भगवान राम के भाई लक्ष्मण का वंशज बताया था। स्वामी ने दावा किया था कि मनमोहन सिंह ने उन्हें खुद बताया था कि वह लक्ष्मण के वंशज हैं, और जब राम सेतु पर चर्चा हो रही थी, तो उन्होंने इसका प्रमाण भी प्रस्तुत किया था।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह दावा करते हुए कहा, “मैंने मनमोहन सिंह से कहा था कि वह लक्ष्मण के वंशज हैं, और जब हम राम सेतु के विषय पर बात कर रहे थे, तो उन्होंने इसका प्रमाण भी पेश किया, जिससे मैं भी चकित हो गया।”

ये दावे निश्चित रूप से लोगों के बीच बहस का कारण बनेंगे, क्योंकि हनुमान जी और लक्ष्मण जैसे पौराणिक पात्रों के बारे में ऐसी अनकही बातें सामने आ रही हैं। जहां एक ओर ओम प्रकाश राजभर ने हनुमान जी की जाति को लेकर बयान दिया, वहीं शंकराचार्य ने मनमोहन सिंह के संबंध में ऐतिहासिक दावे किए हैं। इन दावों के बाद धार्मिक और राजनीतिक दलों में इन मुद्दों पर चर्चाएं तेज हो गई हैं।

राजभर के बयान से यह सवाल उठता है कि क्या हम अपने धर्म और इतिहास को अपनी जाति और राजनीति के चश्मे से देखने लगे हैं? क्या इन धार्मिक व्यक्तित्वों को जाति से जोड़ने से उनका महत्व घटता है, या ये सिर्फ एक नई बहस का हिस्सा है?

अब देखना यह होगा कि ओम प्रकाश राजभर और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के ये बयान समाज में किस तरह का असर डालते हैं, और क्या धार्मिक हस्तियों और नेताओं के बयान आगे चलकर देश की राजनीति को एक नया मोड़ देंगे।

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