विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय अमेरिकी दौरे पर हैं, जो 29 दिसंबर तक जारी रहेगा। इस यात्रा के दौरान, जयशंकर कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के साथ ही भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को और मजबूती देने की दिशा में काम कर रहे हैं।
व्हाइट हाउस में अमेरिकी एनएसए से मुलाकात जयशंकर ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) के प्रमुख जेक सुलिवन से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच भारत और अमेरिका के बीच चल रही रणनीतिक साझेदारी की प्रगति पर विस्तृत चर्चा हुई। जयशंकर ने इस बैठक के बाद अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, “वाशिंगटन डी.सी. में अमेरिकी एनएसए जेक सुलिवन से मिलकर अच्छा लगा। हमने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी की प्रगति पर चर्चा की और वर्तमान क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाओं पर विचारों का आदान-प्रदान किया।”
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब भारत और अमेरिका के रिश्तों में लगातार गहरी साझेदारी की दिशा में प्रगति हो रही है, विशेषकर रक्षा, व्यापार और क्षेत्रीय सुरक्षा के संदर्भ में। जयशंकर ने कहा कि उन्होंने वैश्विक सुरक्षा और कूटनीतिक मुद्दों पर भी सुलिवन के साथ गहन चर्चा की।
आने वाले दिनों में और बैठकें विदेश मंत्री की यात्रा के दौरान ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकातें और चर्चाएं होनी की संभावना है। इसके अलावा, विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि एस जयशंकर संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के महावाणिज्य दूत के एक सम्मेलन की भी अध्यक्षता करेंगे, जहां विभिन्न प्रमुख द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा।
जयशंकर का यह अमेरिका दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सितंबर में अमेरिका यात्रा के बाद हो रहा है, जिसमें उन्होंने चौथे क्वाड लीडर्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। अमेरिका और भारत के बीच उच्च स्तरीय संवाद लगातार जारी है, जो दोनों देशों के बीच सामरिक और कूटनीतिक रिश्तों को और मजबूत कर रहा है।
जयशंकर की यात्रा का महत्व जयशंकर की इस यात्रा को विशेष महत्व इस कारण भी दिया जा रहा है कि यह ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद हुई पहली मुलाकात है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल के अंतिम दिनों में हो रही इस यात्रा को, ट्रंप प्रशासन के नेतृत्व में भारत-अमेरिका संबंधों को और प्रगाढ़ करने का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
भारत-अमेरिका साझेदारी की नई दिशा भारत और अमेरिका के रिश्ते दशकों से मजबूत होते जा रहे हैं, लेकिन इस समय यह साझेदारी कई अहम मुद्दों पर केंद्रित है, जैसे कि रक्षा सहयोग, व्यापार, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद से लड़ाई, और मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र का संरक्षण। साथ ही, दोनों देशों की कूटनीतिक दृष्टि का मेल दोनों देशों की सुरक्षा और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
जयशंकर की इस यात्रा का उद्देश्य केवल द्विपक्षीय रिश्तों को ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी दोनों देशों के दृष्टिकोण को और नजदीकी से जोड़ना है। इन चर्चाओं का असर आने वाले दिनों में भारत और अमेरिका के सामरिक साझेदारी के साथ-साथ विश्व राजनीति में भी देखा जा सकता है।
संबंधों में नई ऊर्जा: ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद एक नया अध्याय? जयशंकर का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब कुछ ही दिनों बाद डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने जा रहे हैं। इस स्थिति में माना जा रहा है कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में एक नई ऊर्जा का संचार हो सकता है। ट्रंप प्रशासन के साथ भारत का सामरिक और आर्थिक गठजोड़ और भी मजबूत हो सकता है, खासकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती प्रभावी भूमिका के बीच।
आगे क्या होगा? एस जयशंकर की इस यात्रा के दौरान होने वाली चर्चाएं और बैठकें भारतीय और अमेरिकी रिश्तों को किस दिशा में ले जाती हैं, यह भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। अगले कुछ सप्ताह भारत-अमेरिका के लिए और भी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं, क्योंकि दोनों देशों के नेताओं के बीच एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है, जो न केवल द्विपक्षीय संबंधों को, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को भी नया आयाम दे सकती है।