ढाका/काठमांडू: दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) को फिर से सक्रिय करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात के दौरान SAARC के भविष्य पर चर्चा की। इसके तुरंत बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पाकिस्तान के राजदूत हाशमी से इस विषय पर बातचीत की है।
नेपाल, जो इस समय SAARC का अध्यक्ष है, क्षेत्रीय संगठन को पुनर्जीवित करने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री ओली ने कहा है कि किसी भी दो देशों के आपसी तनाव का असर SAARC की गतिविधियों पर नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने सदस्य देशों से रचनात्मक भूमिका निभाने की अपील की है।
भारत बिम्सटेक पर केंद्रित, पाकिस्तान की भूमिका संदिग्ध
दिलचस्प बात यह है कि भारत का ध्यान इस समय बिम्सटेक (BIMSTEC) पर है, जो दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच सहयोग को बढ़ावा देने वाला संगठन है। भारत ने SAARC के मंच पर पाकिस्तान की हठधर्मिता और सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी, जिसके बाद से SAARC निष्क्रिय है।
क्या इतिहास दोहराएगा खुद को?
2014 में काठमांडू में हुए 18वें SAARC शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय रेलवे और मोटर वाहन समझौतों पर सहमति बनने वाली थी। लेकिन पाकिस्तान की नवाज शरीफ सरकार ने सेना के दबाव में इन प्रस्तावों को रोक दिया था।
अब, बांग्लादेश और पाकिस्तान मिलकर SAARC को दोबारा सक्रिय करने के प्रयास में जुटे हैं। पाकिस्तान ढाका स्थित उच्चायोग के माध्यम से बांग्लादेश के विभिन्न मंत्रालयों, विश्वविद्यालयों और संस्थानों से संपर्क साध रहा है ताकि SAARC के भविष्य को लेकर सहमति बनाई जा सके।
क्या भारत इस पहल का समर्थन करेगा या SAARC की राहें अब और मु
श्किल होंगी?