ईडी का अहम फरमान: आपराधिक साजिश के आरोप से बचने के लिए अधिकारियों को दी गई कड़ी हिदायत, कोर्ट के फैसलों ने बढ़ाई चिंता

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने अधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण आंतरिक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि जांच के दौरान भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120B यानी आपराधिक साजिश का बेवजह इस्तेमाल करने से बचा जाए। यह आदेश उस समय सामने आया है, जब ईडी पर हाल ही में कुछ मामलों में अदालतों से निराशाजनक फैसले मिले हैं, जिन्होंने पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत दर्ज किए गए मामलों को खारिज कर दिया था।

सूत्रों के अनुसार, ईडी के निदेशक ने अपने निर्देश में कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आपराधिक साजिश का आरोप लगाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह पूरी प्रक्रिया को जटिल बना सकता है। उन्होंने बताया कि ईडी एक ‘सेकेंडरी एजेंसी’ है और वह केवल अन्य एजेंसियों द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर ही अपनी ECIR (Enforcement Case Information Report) दाखिल कर सकती है। इस लिहाज से, ईडी को अपनी जांच प्रक्रिया में पीएमएलए की विस्तृत धारा का इस्तेमाल करना चाहिए, न कि आईपीसी की धारा 120B (आपसी साजिश) को।

कोर्ट के फैसलों के बाद आया यह आदेश: क्यों जरूरी था यह कदम?

ईडी के इस आदेश के पीछे हाल के कुछ महत्वपूर्ण कोर्ट के फैसले हैं, जिनमें आपराधिक साजिश को लेकर ईडी के खिलाफ कठोर टिप्पणियाँ की गई हैं। एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह तक कहा था कि आईपीसी की धारा 120B केवल एक अकेला अपराध नहीं है और इसका इस्तेमाल पीएमएलए के तहत मामले की मजबूती को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

हाल ही में कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार से जुड़े मामले में भी ईडी को बड़ा झटका लगा था। मार्च 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के पीएमएलए मामले को रद्द कर दिया, क्योंकि ईडी का मामला 2018 में आईटी के निष्कर्षों पर आधारित था, और उसमें आईपीसी की धारा 120B का उपयोग किया गया था। इस मामले में डीके शिवकुमार की गिरफ्तारी 2019 में हुई थी, लेकिन अब तक उनका मामला सीबीआई से जुड़ा हुआ है।

इसी तरह, अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा के खिलाफ पीएमएलए मामला रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई ‘अपराध की आय’ नहीं है, जबकि ईडी ने आईपीसी की धारा 120B का इस्तेमाल किया था। हालांकि, बाद में ईडी ने छत्तीसगढ़ में एक नई एफआईआर दर्ज की और टुटेजा को फिर से गिरफ्तार कर लिया, लेकिन कोर्ट में आपराधिक साजिश के आरोपों को साबित नहीं किया जा सका।

दिल्ली आबकारी घोटाले का मामला भी मुसीबत बना

इसी तरह, दिल्ली के चर्चित आबकारी घोटाले में भी ईडी ने आईपीसी की धारा 120B का इस्तेमाल किया था, जिसमें अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और अन्य प्रमुख आरोपी थे। हालांकि, जमानत के दौरान जांच एजेंसी इस आरोप को कोर्ट में साबित नहीं कर पाई, और अंततः सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जेल में बंद अधिकांश आरोपियों को जमानत दे दी।

सूत्रों के मुताबिक, अगर ईडी को तलाशी के दौरान अतिरिक्त सबूत मिलते हैं, तो वह पीएमएलए की धारा 66(2) के तहत राज्य पुलिस के साथ जानकारी साझा कर सकती है। इस पर राज्य पुलिस एफआईआर दर्ज कर सकती है और बाद में ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जांच शुरू कर सकती है। इस नए आदेश के तहत, ईडी अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर जांच कर रही है और मामले की निष्पक्षता बनाए रखने की कोशिश कर रही है।

क्या इस आदेश से ईडी की जांच प्रक्रिया में बदलाव आएगा?

ईडी का यह फरमान दरअसल उसकी जांच प्रक्रिया को और अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी बनाने का एक प्रयास है। अब तक, अदालतों द्वारा आपराधिक साजिश के आरोपों को खारिज किए जाने के बाद, ईडी को यह आदेश जारी करना आवश्यक हो गया था। यह संकेत भी देता है कि ईडी अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है और अब वह पीएमएलए की अन्य धाराओं का इस्तेमाल अधिक सतर्कता से करेगी।

यह आदेश न केवल ईडी की जांच प्रक्रिया पर असर डालने वाला है, बल्कि यह अन्य केंद्रीय एजेंसियों के साथ सामंजस्य और सहयोग को भी बढ़ावा देगा, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में और अधिक पारदर्शिता और परिणामपूर्ण कार्रवाई हो सकेगी। आने वाले समय में यह देखना होगा कि ईडी के इस कदम से उसके मामलों में कितनी सफलता मिलती है और क्या कोर्ट के फैसलों में बदलाव आता है।

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