समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाल ही में धार्मिक स्थलों के सर्वे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर तीखा हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि बीजेपी के नेता हमेशा विवादित मुद्दों को तलाशते रहते हैं और यदि यही सिलसिला जारी रहा, तो यह एक दिन अपनी सरकार को भी खोद देंगे। उनका यह बयान उस समय आया जब बीजेपी पर धार्मिक स्थलों के सर्वे करने और राजनीति करने के आरोप लगाए जा रहे थे।
अखिलेश यादव ने कहा, “यह लोग ऐसे ही ढूंढते रहेंगे, खोदते-खोदते एक दिन अपनी सरकार को भी खोद देंगे। ये लोग लोकतंत्र में नहीं, बल्कि एकतंत्र में भरोसा करते हैं। यह तानाशाही के पक्षधर लोग हैं, जो जनता के मुद्दों की बजाय नफरत फैलाने में विश्वास रखते हैं।”
बीजेपी पर नफरत फैलाने का आरोप
अखिलेश यादव ने बीजेपी पर नफरत फैलाने और फर्जी मुठभेड़ों का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “जो लोग नफरत फैलाते हैं, फर्जी मुठभेड़ करते हैं, और कानून के मुताबिक काम नहीं करते, क्या उनके लिए कोई और शब्द हो सकता है? अगर ऐसा कोई शब्द है तो बताइए।” उनका इशारा उन घटनाओं की ओर था जहां बीजेपी और उसके कार्यकर्ताओं पर धर्म और जातिवाद के नाम पर समाज को बांटने के आरोप लगे हैं।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर अखिलेश का बयान: यह संभव नहीं
अखिलेश यादव ने बीजेपी के ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “यह संभव ही नहीं है। ये लोग संविधान से नहीं, मनविधान से चलते हैं। यह लोकतंत्र में नहीं, एकतंत्र में भरोसा करते हैं।” अखिलेश का यह बयान उन चर्चाओं के बीच आया है जिनमें बीजेपी एक साथ सभी चुनाव कराने की बात कर रही है। अखिलेश ने इसे तानाशाही का कदम बताते हुए इसके खिलाफ आवाज उठाई।
सपा विधायक सुरेश यादव के विवादित बयान पर भी कड़ा जवाब
इस दौरान अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के विधायक सुरेश यादव के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने बीजेपी को ‘हिंदू आतंकवादी संगठन’ करार दिया था। सुरेश यादव ने यह बयान उस वक्त दिया था जब वे गन्ना दफ्तर में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस बयान के बाद सियासी माहौल गर्म हो गया, और बीजेपी ने इसे गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए सपा पर निशाना साधा।
सुरेश यादव ने बाद में एक वीडियो जारी कर सफाई दी, जिसमें उन्होंने कहा कि यह बयान राजनीतिक साजिश का हिस्सा था और उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा था। इसके बावजूद, उनका यह बयान सोशल मीडिया और मीडिया में खूब वायरल हुआ, जिससे बीजेपी और सपा के बीच सियासी तलवारें तेज हो गईं।
बीजेपी पर हमला और सपा की मजबूती
अखिलेश यादव ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी इस तरह के मुद्दों को उठाकर केवल समाज को बांटना चाहती है। उन्होंने बीजेपी की राजनीति को ‘अधिनायकवाद’ की ओर इशारा किया और कहा कि ऐसे प्रयासों से लोकतंत्र को खतरा पैदा हो सकता है। उनके बयान से यह स्पष्ट हो गया कि समाजवादी पार्टी बीजेपी के खिलाफ अपने हमलों को और तेज करने जा रही है, और पार्टी के भीतर भी अब इस मुद्दे पर किसी प्रकार की समझौता नहीं होगा।
समाजवादी पार्टी की ओर से यह भी कहा गया कि पार्टी हमेशा संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रही है, और वह किसी भी कीमत पर देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर नहीं होने देगी।
विपक्षी एकजुटता की ओर बढ़ता कदम
अखिलेश यादव के इन बयानो ने यह भी संकेत दिया कि समाजवादी पार्टी आने वाले समय में बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों के साथ मिलकर और भी जोरदार आंदोलन कर सकती है। जिस तरह से अखिलेश ने बीजेपी के ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को चुनौती दी और विधायक सुरेश यादव के बयान पर सपा का रुख साफ किया, उससे यह लगता है कि यूपी में सपा का फोकस अब बीजेपी को राजनीतिक तौर पर घेरने और जनता के बीच अपनी पैठ बनाने पर है।
अखिलेश यादव के कड़े बयान और बीजेपी के खिलाफ उनकी रणनीति इस बात का संकेत देती है कि आगामी चुनावों में उत्तर प्रदेश में सियासी माहौल गर्म रहने वाला है, और सपा अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है।