मुंबई में आज एक बड़ा पारिवारिक समारोह हो रहा है, जिसमें मनसे प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे एक साथ नजर आए। यह दृश्य न केवल परिजनों के लिए एक सुखद पल था, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचाने वाला साबित हुआ। राज ठाकरे की बहन के बेटे की शादी में दोनों ठाकरे भाई एक-दूसरे से खुलकर बात करते हुए दिखाई दिए, जिससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या 18 साल बाद दोनों भाई एक बार फिर साथ आ सकते हैं?
शादी में एक साथ नजर आए ठाकरे बंधु
यह शादी मुंबई के दादर में स्थित राजे शिवाजी महाराज विद्यालय में आयोजित की जा रही है, और इस शादी में दोनों भाई, राज और उद्धव ठाकरे, एक साथ शामिल हुए। समारोह में उपस्थित राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच पारिवारिक संबंधों को देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या दोनों राजनीतिक मोर्चे पर भी एक बार फिर एक साथ आ सकते हैं।
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के रिश्ते में 2006 में आई दरार के बाद से दोनों भाई अलग-अलग राजनीतिक रास्तों पर चले गए थे। उद्धव ने शिवसेना की कमान संभाली, जबकि राज ने अपनी अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) बनाई थी। लेकिन हाल के वर्षों में, खासकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के बाद, दोनों की ही पार्टियां राजनीतिक अस्तित्व के संकट का सामना कर रही हैं।
क्या ठाकरे ब्रदर्स फिर से एक हो सकते हैं?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे दोनों परिवारों के लिए निराशाजनक रहे थे। शिवसेना (यूबीटी) को 87 सीटों में से सिर्फ 20 सीटें ही मिलीं, जबकि राज ठाकरे की मनसे को एक भी सीट हासिल नहीं हो पाई। इन चुनावों के बाद से दोनों ही पार्टियों में वर्चस्व की जंग तेज हो गई है, और यह सवाल उठने लगा है कि क्या दोनों परिवारों की पार्टियां मराठी पहचान और हिंदुत्व जैसे मुद्दों पर फिर से एक हो सकती हैं?
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की मुलाकातें: क्या यह एक संकेत है?
कुछ समय पहले, उद्धव ठाकरे के परिवारिक समारोह में राज ठाकरे को देखा गया था, जब वह रश्मि ठाकरे के भतीजे की शादी में शरीक हुए थे। उस दौरान दोनों भाइयों की मुलाकात नहीं हो पाई थी, लेकिन इस बार की मुलाकात से राजनीतिक माहौल में बदलाव की उम्मीदें जागी हैं। पिछले साल 22 दिसंबर को भी दोनों भाइयों ने एक सगाई समारोह में एक-दूसरे से मुलाकात की थी।
संजय राउत के संकेत: क्या दोनों भाइयों का एक साथ आना मुमकिन है?
शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत ने भी राज और उद्धव ठाकरे के एक साथ आने के संकेत दिए थे। एक मीडिया इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या दोनों भाई एक साथ आकर मराठी वोटों के विभाजन को रोक सकते हैं, तो उन्होंने कहा, “यह केवल राज और उद्धव तक सीमित नहीं है, महाराष्ट्र से प्यार करने वाले हर व्यक्ति को एकजुट होना चाहिए।” संजय राउत ने यह भी कहा कि मराठी लोगों के लिए सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आकर काम करना चाहिए।
क्या ठाकरे बंधुओं का मिलना महाराष्ट्र की राजनीति में बदलाव ला सकता है?
राज और उद्धव ठाकरे दोनों ही अपनी-अपनी पार्टियों के जरिए मराठी अस्मिता और हिंदुत्व के मुद्दे पर जोर देते रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टियों का चुनावी प्रदर्शन हाल के वर्षों में कमजोर रहा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या ठाकरे बंधुओं का मिलना महाराष्ट्र की राजनीति में नए बदलाव की शुरुआत करेगा? क्या दोनों भाई 18 साल बाद एक साथ खड़े होंगे, खासकर आगामी मुंबई महानगरपालिका चुनावों में भाजपा के खिलाफ?
इन सब सवालों के बीच ठाकरे परिवार की इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ भी संभव है। ठाकरे बंधुओं के एक साथ आने का मतलब सिर्फ राजनीतिक गठबंधन नहीं होगा, बल्कि यह मराठी राजनीति में एक नई दिशा की ओर इशारा कर सकता है।