जर्मनी के मैगडेबर्ग क्रिसमस मार्केट में हुए भीषण हमले में एक बच्चे समेत 5 लोगों की मौत और करीब 200 लोग घायल हुए थे, अब इस मामले में एक नई जानकारी सामने आई है, जिसने पूरे घटनाक्रम को और भी चौंकाने वाला बना दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सऊदी अरब ने हमलावर के बारे में जर्मन अधिकारियों को कई बार चेतावनियां भेजी थीं, लेकिन इन चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया गया था। यह खुलासा कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर रहा है, खासकर इस संदिग्ध के बारे में पहले से सऊदी खुफिया एजेंसियों की तरफ से दी गई जानकारियों के बाद।
सऊदी अरब ने दी थीं चेतावनियाँ
सऊदी अरब ने 2007 से लेकर हमले से पहले तक जर्मनी को कई बार संदिग्ध के बारे में महत्वपूर्ण सूचना दी थी। सऊदी अधिकारियों ने जर्मन खुफिया सेवा और विदेश मंत्रालय को ‘नोट्स वर्बल’ के रूप में चार औपचारिक चेतावनियाँ भेजीं, जिनमें संदिग्ध व्यक्ति की पहचान और उसकी कट्टरपंथी गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई थी। जर्मन मीडिया के मुताबिक, इस व्यक्ति की पहचान तालेब अल अब्दुलमोहसेन के रूप में की गई थी, और उसे लेकर जर्मन अधिकारियों को कई बार चेतावनी दी गई थी कि वह गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
सऊदी अधिकारियों की चिंता थी इस्लामिक कट्टरपंथी विचार
इन चेतावनियों में विशेष रूप से यह भी कहा गया था कि तालेब ने सऊदी नागरिकों को अपना धर्म छोड़ने के लिए प्रेरित किया था और उसने कट्टरपंथी इस्लामी विचारों का प्रचार किया था। सऊदी अरब को इस व्यक्ति के कट्टरपंथी दृष्टिकोण के बारे में पूरी जानकारी थी और उन्होंने इसे जर्मन अधिकारियों से भी साझा किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अधिकारियों ने तीन बार जर्मनी को तालेब के बारे में सचेत किया, लेकिन जर्मन अधिकारियों ने इन चेतावनियों को नजरअंदाज किया।
2007 से चली आ रही थी चेतावनियाँ
इस मामले में और भी चौंकाने वाली बात यह है कि 2007 में सऊदी अरब ने पहली बार तालेब के बारे में चेतावनी दी थी, जिसमें उसके कट्टरपंथी विचारों का उल्लेख किया गया था। इसके बाद 2007 और 2008 के बीच सऊदी अरब ने तालेब के जर्मनी में होने के कारण उसका प्रत्यर्पण भी मांगा था, लेकिन जर्मन अधिकारियों ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए यह अनुरोध खारिज कर दिया। इसके बाद सऊदी अरब ने कई बार जर्मन अधिकारियों को चेतावनी दी, लेकिन हर बार इसे अनदेखा किया गया।
संदिग्ध का राजनीतिक पक्ष और कनेक्शन
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, तालेब को जर्मनी की फॉर राइट पार्टी, अल्टरनेटिव फ़ॉर जर्मनी (AfD) का समर्थक भी माना जाता है, जो कट्टरपंथी इस्लाम विरोधी विचारधारा की पार्टी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तालेब ने विदेश में रहने वाले सऊदी नागरिकों को परेशान किया था, जो उसके राजनीतिक विचारों का विरोध करते थे। इसके अलावा, सऊदी अधिकारियों ने यह भी दावा किया कि तालेब के विचारों और गतिविधियों ने उसे एक बड़ा खतरा बना दिया था, जिसे नजरअंदाज करना जर्मन अधिकारियों के लिए एक बड़ी चूक साबित हुई।
जर्मन अधिकारियों की चुप्पी पर उठे सवाल
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि सऊदी अरब द्वारा दी गई चेतावनियों को जर्मन अधिकारियों ने क्यों अनदेखा किया। क्या उन्हें इस व्यक्ति के बारे में सही जानकारी नहीं थी, या फिर उन्होंने जानबूझकर इसे नजरअंदाज किया? इस स्थिति ने जर्मन सुरक्षा सेवाओं की चूक को उजागर किया है, और यह सवाल खड़ा किया है कि क्या जर्मन अधिकारियों को तालेब के खतरनाक विचारों और गतिविधियों के बारे में पहले से पूरी जानकारी नहीं थी?
इस नए खुलासे से यह मामला और भी जटिल हो गया है, और अब यह देखना होगा कि जर्मनी इस गंभीर मुद्दे पर अपनी जिम्मेदारी कब तक निभाता है, और क्या वह भविष्य में ऐसे खतरों को पहचानने और नष्ट करने के लिए प्रभावी कदम उठाएगा।