BPSC परीक्षा रद्द करने की मांग पर गहराई से उठे सवाल, पप्पू यादव ने आयोग के अध्यक्ष पर उठाए गंभीर आरोप!

बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं पीटी परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर राजधानी पटना के गर्दनीबाग धरनास्थल पर हजारों अभ्यर्थी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रदर्शन के बीच बिहार की राजनीति में भी हलचल मच गई है, और अब यह मुद्दा राजनीतिक रूप से भी तूल पकड़ता नजर आ रहा है। पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने बीपीएससी के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है और उन्होंने इस परीक्षा को पूरी तरह से रद्द करने की मांग की है।

सांसद पप्पू यादव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि बीपीएससी की 70वीं पीटी परीक्षा को पूरी तरह से रद्द किया जाए और इसे फिर से आयोजित किया जाए, नहीं तो यह छात्रों के साथ सीधे तौर पर अन्याय होगा। उन्होंने आगे कहा कि केवल बापू परीक्षा केंद्र की परीक्षा रद्द करने से दुविधा बनी हुई है। सवाल यह है कि क्या पुराना सेट का पेपर होगा या फिर नया सेट इस्तेमाल होगा, दोनों ही परिस्थितियों में विद्यार्थियों के हितों की अनदेखी की जाएगी। इसलिए, उन्होंने पुनर्परीक्षा की मांग की है।

पप्पू यादव ने आयोग अध्यक्ष पर उठाए गंभीर सवाल

सांसद पप्पू यादव ने अपने फेसबुक लाइव वीडियो के जरिए भी इस मुद्दे पर सरकार और आयोग के खिलाफ मोर्चा खोला। उन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष परमार रवि मनु भाई पर गंभीर आरोप लगाए। यादव ने सवाल उठाया कि जिस व्यक्ति पर विजिलेंस केस और FIR दर्ज हैं, उसे आयोग का अध्यक्ष कैसे बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह से समझ से परे है कि उन्हें आयोग का अध्यक्ष क्यों बनाया गया।”

सांसद ने इस मामले में और भी सवाल किए और पूछा कि आखिरकार रिटायर्ड अधिकारियों को ही बीपीएससी का अध्यक्ष क्यों बनाया जाता है? उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्णय किस आधार पर लिया गया है और क्या इस फैसले में किसी तरह की गड़बड़ी या करोड़ों की डील हुई है? पप्पू यादव ने आयोग के कार्यों में पारदर्शिता की आवश्यकता को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग की कार्यप्रणाली पर जनता को विश्वास तभी होगा जब इसमें पारदर्शिता लाई जाएगी।

बीपीएससी की कार्यप्रणाली पर उठे गंभीर सवाल

सांसद पप्पू यादव ने बीपीएससी जैसी संस्थाओं की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए यह भी कहा कि आयोग के अध्यक्षों का चुनाव जनता द्वारा किया जाना चाहिए या फिर यह निर्णय किसी स्वतंत्र रेगुलेटरी बॉडी द्वारा लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “जब सरकार या नेता किसी संस्थान के अध्यक्ष का चयन करते हैं, तो संस्थान के भीतर भ्रम की स्थिति पैदा होती है, और इसका असर परीक्षा की पारदर्शिता पर पड़ता है।”

साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि आयोग की जिम्मेदारी सिर्फ परीक्षा आयोजित करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि उन परीक्षाओं में पूरा पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाई जाए।

क्या होगा अगला कदम?

वर्तमान में बिहार लोक सेवा आयोग के खिलाफ छात्रों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और यह विरोध अब राज्य की राजनीति में भी गहरे प्रभाव डालने लगा है। पप्पू यादव के द्वारा उठाए गए सवालों और उनकी अपील ने राज्य सरकार और आयोग दोनों को घेर लिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर सरकार क्या कदम उठाती है और क्या बीपीएससी को अपनी परीक्षा प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए दबाव का सामना करना पड़ेगा या नहीं।

चरणबद्ध तरीके से बढ़ रहे इस विरोध को देखते हुए यह निश्चित है कि यह मुद्दा और भी तेज हो सकता है, और अगर छात्रों की मांगें पूरी नहीं होतीं तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।

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