बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरवाद को लेकर मोहम्मद यूनुस ने दी बड़ी चेतावनी, क्या ये वादा सही साबित होगा?

बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरवाद के खिलाफ कड़े बयान दिए हैं। उन्होंने कहा कि देश में किसी भी प्रकार के इस्लामी कट्टरवाद के लिए कोई जगह नहीं है और देश को नए सिरे से बनाने का संकल्प लिया है। उनका ये बयान ब्रिटिश पत्रिका ‘द इकोनॉमिस्ट’ के साथ एक साक्षात्कार में सामने आया, जो हाल ही में प्रकाशित हुआ।

यूनुस ने यह बयान इस्लामी कट्टरवाद के बढ़ने की चिंताओं के बीच दिया है, खासकर उन चेतावनियों के संदर्भ में जो अमेरिकी और भारतीय अधिकारियों ने बांग्लादेश के भविष्य को लेकर दी थीं। यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश में इस्लामी चरमपंथ की वापसी का खतरा नहीं है और देश के युवा धर्म के प्रति निष्पक्ष नजरिया रखते हैं। वह इस युवा पीढ़ी की ऊर्जा और देश के नए निर्माण के प्रति उनके उत्साह पर जोर देते हुए कहते हैं कि वे बांग्लादेश को एक बेहतर दिशा में आगे बढ़ते हुए देख रहे हैं।

यूनुस ने साक्षात्कार में युवाओं, विशेषकर युवा महिलाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “हमारे युवाओं ने हाल ही में हुए विद्रोह में महत्वपूर्ण योगदान दिया, और महिलाओं ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई। हमें उन्हें सुनने की आवश्यकता है और यह सुनिश्चित करना है कि उनके सपने सच हों।” बांग्लादेश में युवा नेतृत्व से यह बदलाव की नई उम्मीदें जगी हैं।

हालांकि, बांग्लादेश की सरकार और यूनुस के बयान में बड़ा विरोधाभास है। जब वह यह कहते हैं कि देश में कट्टरपंथ की कोई जगह नहीं है, तो वहीं देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है। खासकर, शेख हसीना के शासन के बाद से कई मंदिरों और हिंदू बस्तियों पर हमले हो चुके हैं। यूनुस की सरकार ने इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाने का आश्वासन नहीं दिया है।

भारत ने बार-बार इस हिंसा का विरोध किया है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे खत्म करने की मांग की है, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नजर नहीं आ रही है। बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हो रही हिंसा और शेख हसीना के निरंकुश शासन के कारण देश की सामाजिक और धार्मिक स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं।

इस साक्षात्कार से बांग्लादेश की भविष्यवाणी को लेकर नए सवाल खड़े हो गए हैं। क्या यूनुस का बयान कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ प्रभावी साबित होगा या फिर देश में हो रही हिंसा की घटनाओं को नजरअंदाज किया जाएगा? यह देखने वाली बात होगी।

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