गोंडा से बहराइच के कतर्नियाघाट जंगल में स्कूली छात्रों और उनके शिक्षकों का एक दल घने जंगल के बीच फंस गया, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया। यह घटना उस समय सामने आई जब 130 स्कूली बच्चे और उनका स्टाफ नेपाल यात्रा के लिए निकले थे और बहराइच के कतर्नियाघाट जंगल में जंगल भ्रमण के दौरान अंधेरा होने के बाद वहां फंस गए। बच्चे और स्टाफ तीन बसों में सवार थे और उनका उद्देश्य नेपाल जाने का था, लेकिन शाम को गाड़ी को नेपाल में प्रवेश नहीं मिल पाया। इसके बाद स्कूल स्टाफ ने बच्चों को वापस जंगल के बीच घने क्षेत्र में ले जाकर बिछिया स्टेशन के पास रुकने का फैसला लिया।
काफी घना और खतरनाक होने के कारण कतर्नियाघाट जंगल रात के समय में काफी खतरनाक साबित हो सकता है, जहां जंगली जानवरों जैसे शेर, तेंदुआ, और हाथी का जमावड़ा होता है। जैसे ही प्रशासन को इस घटना का पता चला, गोंडा और बहराइच जिले में हड़कंप मच गया। प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई शुरू करते हुए एसडीएम मोतीपुर संजय कुमार को घटनास्थल पर भेजा। एसडीएम ने मौके पर पहुंचते ही स्कूल स्टाफ को जमकर फटकार लगाई और बच्चों को जंगल से बाहर सुरक्षित स्थान पर लाने का आदेश दिया।
डीएम मोनिका रानी के निर्देश पर एसडीएम ने देर रात जंगल के भीतर फंसे बच्चों और स्टाफ को एक सुरक्षित स्थान पर लाकर बसों में बैठाया और फिर उन्हें जंगल से बाहर निकाला। एसडीएम की मुस्तैदी के बाद सभी बच्चों को सुरक्षित घर वापस भेज दिया गया। प्रशासन के लिए यह राहत की बात थी कि इस घटनाक्रम में किसी भी बच्चे या शिक्षक को कोई नुकसान नहीं हुआ।
कुल मिलाकर, 155 लोग जंगल में फंसे थे और यह मामला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था। हालांकि, देर रात की इस रेस्क्यू ऑपरेशन ने एक बडी दुर्घटना को टाल दिया और बच्चों को घर भेजने में सफलता प्राप्त की।