अमित शाह का त्रिपुरा दौरा: ब्रू रियांग पुनर्वास योजना में क्या होगा बदलाव?

नई दिल्ली, 22 दिसंबर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रविवार को त्रिपुरा के धलाई इलाके में ब्रू रियांग समुदाय की पुनर्वास बस्तियों का दौरा करेंगे। इस दौरे के साथ ही चार साल पहले हुए ऐतिहासिक ब्रू रियांग समझौते की सफलता और उसके परिणामों का मूल्यांकन भी किया जाएगा। जनवरी 2020 में इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसमें भारत सरकार, त्रिपुरा, मिजोरम सरकार और ब्रू रियांग जनजाति के प्रतिनिधि शामिल थे। यह समझौता मिजोरम से विस्थापित 37,000 ब्रू रियांग परिवारों को त्रिपुरा में पुनर्वासित करने की दिशा में एक अहम कदम था।

क्या है ब्रू रियांग पुनर्वास समझौता?

ब्रू रियांग समुदाय के लोग कई साल पहले मिजोरम में आदिवासी हिंसा के कारण विस्थापित हो गए थे। 2020 में इस समुदाय को त्रिपुरा में बसाने के लिए एक समझौता हुआ, जिसके तहत 37,000 लोगों को नए घर दिए जाने की योजना बनाई गई। इस ऐतिहासिक समझौते के तहत, इन्हें त्रिपुरा राज्य में भूमि आवंटन, सरकारी योजनाओं का लाभ और अन्य सुविधाएं मिलेंगी। गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें भारत सरकार की तरफ से लगभग 600 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की गई थी।

आने वाला दौरा और इसके महत्व

गृह मंत्री अमित शाह के इस दौरे में न केवल पुनर्वास योजनाओं का जायजा लिया जाएगा, बल्कि शाह नए प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास भी करेंगे, जिससे इन विस्थापितों की स्थिति में सुधार हो सके। यह दौरा त्रिपुरा में रहने वाले ब्रू रियांग समुदाय के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इस दौरान शाह विकास की गति, पुनर्वास कॉलोनियों के निर्माण और आगे के कदमों पर चर्चा करेंगे।

क्या हैं अब तक की उपलब्धियां?

ब्रू रियांग समझौते के तहत 2020 के बाद कई प्रगति हुई है, लेकिन 4 साल बाद भी इन विस्थापितों के लिए कई चुनौतियां बरकरार हैं। मिजोरम से विस्थापित इन परिवारों को त्रिपुरा में स्थायी बसावट, बुनियादी सुविधाओं और रोजगार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। शाह के इस दौरे से उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार द्वारा दी गई सहायता की वास्तविक स्थिति पर चर्चा होगी और यह तय किया जाएगा कि किस प्रकार इन परिवारों के जीवन स्तर को और बेहतर किया जा सकता है।

कितनी प्रभावी रही है योजना?

इस परियोजना की सफलता के लिए आने वाले समय में कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े हो सकते हैं। 37,000 परिवारों का पुनर्वास केवल एक सरकारी परियोजना नहीं, बल्कि यह एक ऐतिहासिक प्रयास है, जिसका पूरे भारत में कोई दूसरा उदाहरण शायद ही मिले। सरकार और स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कितनी सहायता मिली है, और क्या अब तक की योजनाओं का लाभ इन विस्थापितों को मिला है, यह सभी सवाल शाह के दौरे के दौरान प्रमुख होंगे।

मूल्यांकन का समय

गृह मंत्री अमित शाह का यह दौरा केवल एक निरीक्षण यात्रा नहीं, बल्कि यह उन योजनाओं का मूल्यांकन करने का अवसर भी है, जिनके तहत इन परिवारों को पुनर्वासित किया गया है। इसमें यह भी तय किया जाएगा कि अगले चरण में क्या योजनाएं लागू की जाएंगी, ताकि इन विस्थापितों को समुचित अधिकार, जीवन स्तर और सामाजिक कल्याण की योजनाओं का लाभ मिल सके।

नतीजा क्या होगा?

आखिरकार, अमित शाह के इस दौरे से बहुत कुछ तय होगा। क्या त्रिपुरा में ब्रू रियांग समुदाय के लिए शुरू किए गए पुनर्वास और विकास कार्य पूरी तरह से सफल होंगे? क्या सरकार अगले चरण में और अधिक प्रभावी कदम उठाएगी? यह सवाल तब तक अनुत्तरित रहेगा, जब तक शाह अपने दौरे के दौरान विस्थापितों के भविष्य के लिए योजनाओं का ऐलान नहीं करते। आने वाले समय में ब्रू रियांग समझौते की सफलता और इस समुदाय के पुनर्वास की यात्रा की तस्वीर जल्द साफ हो सकेगी।

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