पंजाब नगर निगम चुनाव में घमासान, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब चुनाव आयोग को जारी किया नोटिस, सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच विवाद गहरा

पंजाब में नगर निगम और नगर परिषद के चुनाव को लेकर ताज़ा घटनाक्रम में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण सुनवाई की। इस सुनवाई के दौरान, भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.), शिरोमणि अकाली दल (श.आ.द.) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) जैसे प्रमुख विपक्षी दलों ने एक हस्तक्षेप आवेदन दाखिल किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें नामांकन दाखिल करने से व्यवस्थित रूप से रोका गया। इस आवेदन के आधार पर, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को नोटिस जारी किया है और इस मामले में जवाब मांगा है।

विपक्षी दलों का आरोप: नामांकन में बाधा

विपक्षी दलों ने यह दावा किया कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान उनके उम्मीदवारों को जानबूझकर नामांकन दाखिल करने से रोका गया, जिसके कारण उनकी चुनावी भागीदारी प्रभावित हुई। इन दलों ने आरोप लगाया कि नामांकन की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी थी और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं। अब, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पंजाब राज्य चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा है।

आम आदमी पार्टी ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी

इस बीच, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी पटियाला में नगर निगम चुनावों को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। पार्टी ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 13 दिसंबर के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। पार्टी का आरोप है कि नामांकन दाखिल करने के दौरान पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में उनके उम्मीदवारों के साथ उत्पीड़न किया गया और उन्हें चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने से जानबूझकर रोका गया।

आम आदमी पार्टी ने यह भी कहा कि चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका थी, जैसा कि पंचायत चुनावों में देखा गया था। इस संदर्भ में, हाईकोर्ट ने पंजाब चुनाव आयोग को वीडियोग्राफी के माध्यम से पूरी चुनावी प्रक्रिया को रिकॉर्ड करने का निर्देश दिया था, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से बचा जा सके। इसके बावजूद, उत्पीड़न के आरोपों के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।

हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आरोपों की गंभीरता को स्वीकार किया और अधिकारियों को फटकार लगाई। याचिकाकर्ताओं की ओर से अवमानना याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में कई स्थानों पर उम्मीदवारों का उत्पीड़न हुआ।

हाईकोर्ट ने इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए संबंधित अधिकारियों को चेतावनी दी, और मामले में और अधिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। अब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में है, जहां सुनवाई जारी है और पंजाब चुनाव आयोग से जवाब मांगा गया है।

21 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे

वहीं, 21 दिसंबर को पंजाब के 5 जिलों में नगर निगम चुनावों के लिए वोट डाले जाएंगे। चुनाव आयोग ने इस दिन के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं, और यह दिन राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

इस चुनाव में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के 700 से अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं, और पार्टी के लिए यह चुनावी मुकाबला अपनी साख बचाने और विरोधियों को पछाड़ने का एक अहम मौका है। 9 दिसंबर को नामांकन की आखिरी तारीख थी, जिसके बाद चुनावी हलचल तेज हो गई है।

क्या होगा सुप्रीम कोर्ट का अगला कदम?

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में अब तक की हुई कार्रवाई से यह साफ है कि इस चुनावी विवाद को लेकर राज्य और केंद्र सरकार दोनों के बीच मतभेद बढ़ सकते हैं। विपक्षी दलों की ओर से लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, यह मामला राजनीतिक और कानूनी दृष्टिकोण से एक बड़ा मोड़ ले सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आगामी आदेश से यह स्पष्ट हो जाएगा कि क्या चुनाव आयोग की कार्रवाई में कोई गड़बड़ी थी और क्या इस चुनाव की प्रक्रिया में किसी प्रकार की निष्पक्षता की कमी रही है।

पंजाब में इस चुनावी घमासान के बीच, सभी की नजरें अब सुप्रीम कोर्ट के अगले फैसले पर टिकी हुई हैं, जो राज्य की राजनीतिक दिशा और आगामी नगर निगम चुनावों की स्थिति को प्रभावित कर सकता है।

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