प्रियंका गांधी को मिला ‘1984’ बैग, बीजेपी ने भेजा सख्त संदेश, क्या होगा इसका राजनीतिक असर?

संसद के शीतकालीन सत्र में इस बार राजनीति के मैदान में एक नई बहस ने जन्म लिया, जब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी अपने बैग के जरिए कई राजनीतिक संदेश देती नजर आईं। फिलिस्तीन और बांग्लादेश के समर्थन में उनके बैग चर्चाओं का हिस्सा बने, लेकिन अब ओडिशा से बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने उन्हें एक ऐसा बैग दिया, जिस पर ‘1984’ लिखा हुआ था, और बैग के डिज़ाइन में सिख विरोधी दंगों की त्रासदी को दर्शाने के लिए खून के छींटे डाले गए थे। इस बैग के जरिए बीजेपी ने अपनी राजनीतिक चाल चली और कांग्रेस के इतिहास को ताजा करने की कोशिश की।

अपराजिता सारंगी का राजनीतिक संदेश

बीजेपी की महिला सांसद अपराजिता सारंगी ने प्रियंका गांधी को यह बैग भेंट कर साफ संदेश दिया कि कांग्रेस को अपने अतीत का सामना करना चाहिए। इस बैग पर ‘1984’ लिखा हुआ था, जो सिख विरोधी दंगों को याद दिलाने वाला एक प्रतीक था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में हुए इन दंगों में हजारों सिखों की जान चली गई थी। अपराजिता ने बताया कि उन्होंने इस बैग को खासतौर पर तैयार कराया था, ताकि प्रियंका गांधी को और कांग्रेस को उस दौर की त्रासदी की याद दिलाई जा सके।

अपराजिता ने कहा, “प्रियंका गांधी जिस तरह से अपने बैग के जरिए राजनीतिक संदेश देती हैं, उसी तरह मैंने यह बैग उन्हें गिफ्ट किया है। यह कांग्रेस के इतिहास का एक कड़वा सच है, जिसे अब जनता के सामने लाया जाना चाहिए।”

प्रियंका गांधी की चुप्पी पर सवाल

हालांकि प्रियंका गांधी ने बैग स्वीकार किया, लेकिन उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उनके चेहरे पर न तो कोई उत्सुकता थी, न ही कोई विरोध। यह चुप्पी सवाल उठाती है कि क्या कांग्रेस इस मुद्दे पर खुलकर जवाब देने से बच रही है। क्या प्रियंका गांधी और कांग्रेस सिख विरोधी दंगों को लेकर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं?

प्रियंका के बैग और उनके राजनीतिक संदेश

प्रियंका गांधी अक्सर अपने बैग के जरिए अपनी राजनीतिक राय जाहिर करती हैं। इससे पहले, वह संसद में फिलिस्तीन के समर्थन में ‘फिलीस्तीन’ लिखे बैग के साथ पहुंची थीं, जिसमें तरबूज जैसे प्रतीक बने थे। यह प्रतीक फिलिस्तीनी एकता और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं और ईसाइयों के समर्थन में एक बैग लेकर लोकसभा में कदम रखा, जहां हाल के वर्षों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ी है।

प्रियंका गांधी का यह बैग भारतीय राजनीति के नए दौर को दिखा रहा है, जिसमें हर कदम राजनीतिक संदेशों के साथ चलता है। उनके बैग न केवल एक फैशन स्टेटमेंट होते हैं, बल्कि इनसे उन मुद्दों पर ध्यान खींचने की कोशिश होती है, जिन्हें राजनीति में महत्व दिया जाता है।

क्या होगा आगे?

अपराजिता सारंगी का ‘1984’ बैग क्या भारतीय राजनीति में एक नया विवाद पैदा करेगा? क्या यह मामला कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती बनेगा? प्रियंका गांधी के चुप्पी साधे रहने का क्या मतलब है? क्या बीजेपी अपनी इस राजनीति को और तेज़ करेगी या प्रियंका गांधी से जवाब मिलेगा?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बैग का राजनीतिक प्रभाव क्या होगा, और क्या प्रियंका गांधी और कांग्रेस इस पर कोई प्रतिक्रिया देंगे या इसे अनदेखा करेंगे। आने वाले दिनों में यह सवाल और ज्यादा अहम हो सकता है, क्योंकि सिख विरोधी दंगे और कांग्रेस के अतीत पर उठने वाले सवाल राजनीति की अगली पंक्ति में आने की संभावना रखते हैं।

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