दिल्ली की महरौली विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार नरेश यादव ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भाग न लेने का फैसला किया है। इस घोषणा ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। नरेश यादव का यह निर्णय हाल ही में पंजाब में कुरान की बेअदबी के मामले में उनकी गिरफ्तारी के बाद सामने आया है। हालांकि उन्हें बाद में जमानत मिल गई, लेकिन इस घटनाक्रम ने नरेश यादव और आम आदमी पार्टी के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर दीं।
नरेश यादव का सोशल मीडिया पर बयान: नरेश यादव ने अपने इस फैसले का ऐलान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर किया। उन्होंने लिखा, “आज से 12 साल पहले अरविंद केजरीवाल जी की ईमानदारी की राजनीति से प्रेरित होकर मैं आम आदमी पार्टी में आया था। इस पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया है। आज अरविंद जी से मिलकर मैंने उन्हें बताया कि जब तक कोर्ट से मैं बा-इज्ज़त बरी नहीं हो जाता, तब तक मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं पूरी तरह से निर्दोष हूं और मुझ पर लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित और झूठे हैं। इसलिए मैंने उनसे गुजारिश की है कि मुझे चुनाव लड़ने से मुक्त कर दिया जाए। मैं आगे भी महरौली के लोगों की सेवा करता रहूंगा और एक आम कार्यकर्ता की तरह काम करूंगा।”
मुस्लिम वोटों का असर: सूत्रों के अनुसार, नरेश यादव के खिलाफ पंजाब में कुरान की बेअदबी से जुड़ा मामला दर्ज है। आम आदमी पार्टी को यह चिंता सता रही थी कि इस मामले के चलते दिल्ली के मुस्लिम समुदाय में नाराजगी हो सकती है, जो पार्टी के लिए महरौली जैसी संवेदनशील सीट पर मुश्किलें पैदा कर सकता था। इस संभावना को ध्यान में रखते हुए, नरेश यादव ने चुनाव से हटने का निर्णय लिया।
AAP ने महेंद्र चौधरी को बनाया उम्मीदवार: नरेश यादव के पीछे हटने के बाद, आम आदमी पार्टी ने महरौली विधानसभा सीट पर अपना नया उम्मीदवार घोषित कर दिया है। पार्टी ने इस सीट से महेंद्र चौधरी को उम्मीदवार बनाया है, जो अब इस चुनावी दौर में महरौली में पार्टी का चेहरा होंगे।
नरेश यादव का राजनीतिक भविष्य: नरेश यादव का यह फैसला उनके राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। वे आम आदमी पार्टी के सक्रिय सदस्य रहे हैं और महरौली में उनकी सक्रियता को लेकर पार्टी में उनके योगदान को भी सराहा गया था। हालांकि, अब चुनावी मैदान से बाहर रहने का उनका निर्णय यह संकेत देता है कि वे फिलहाल अपनी बेदाग छवि को कोर्ट से प्रमाणित करने में लगे रहेंगे।
AAP के लिए चिंता का विषय: दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, और आम आदमी पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में आने का प्रयास कर रही है। हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया है, लेकिन AAP ने पहले ही अपने 70 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। नरेश यादव का हटना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव है।
राजनीतिक रुख और सामाजिक प्रभाव: नरेश यादव के इस फैसले का असर न केवल महरौली, बल्कि दिल्ली की राजनीति पर भी पड़ सकता है। उनकी गिरफ्तारी और बाद में जमानत मिलने के बाद, उनकी छवि को लेकर सवाल उठने लगे थे। अब, जब वे चुनावी मैदान से बाहर हो गए हैं, तो यह देखना होगा कि AAP इस सीट पर अपने नए उम्मीदवार के साथ किस तरह से मुस्लिम समुदाय का समर्थन जुटाती है।
यह घटनाक्रम पार्टी के लिए मुश्किल समय की शुरुआत हो सकता है, खासकर अगर उन्हें अन्य उम्मीदवारों के खिलाफ इसी तरह के विवादों का सामना करना पड़ा। दूसरी तरफ, यह भी देखना होगा कि नरेश यादव का यह कदम उनके भविष्य में राजनीति में वापसी के रास्ते को किस तरह प्रभावित करेगा।
निष्कर्ष: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली में जबरदस्त राजनीतिक हलचल देखने को मिल रही है। नरेश यादव का यह कदम आम आदमी पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही यह भी एक संकेत है कि पार्टी अपने उम्मीदवारों की छवि को लेकर पूरी सतर्कता बरतने की कोशिश कर रही है।