नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और अन्य एनसीआर राज्यों को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने निर्माण कार्यों पर लगी रोक के दौरान मजदूरों को मुआवजा न दिए जाने पर दिल्ली सरकार को जमकर लताड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी प्रभावित मजदूरों को मुआवजा दिया जाए और यदि इस पर विचार नहीं किया जाता है, तो संबंधित राज्यों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की जाएगी।
ग्रेप-4 के तहत प्रभावित मजदूरों को मुआवजा देने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर के अन्य राज्यों को आदेश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि ग्रेप-4 (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के तहत कौन से मजदूर प्रभावित हुए हैं और उन्हें मुआवजा दिया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि मुआवजे पर विचार नहीं किया गया तो कोर्ट अवमानना कार्यवाही पर विचार करेगा। दिल्ली सरकार और एनसीआर राज्यों को 5 जनवरी तक इस मुद्दे पर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया है।
दिल्ली सरकार का पटाखों पर प्रतिबंध
इस बीच, दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पूरे साल पटाखे जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। दिल्ली में पटाखों की बिक्री, भंडारण और व्यापार पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह कदम दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति को बेहतर बनाने और दिवाली के दौरान बढ़ने वाली प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
प्रदूषण को लेकर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों से स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, खासकर उन मजदूरों के प्रति जो निर्माण कार्य पर रोक के कारण प्रभावित हो रहे हैं। अब देखना यह होगा कि संबंधित राज्य इस आदेश का पालन करते हुए प्रभावित मजदूरों को मुआवजा प्रदान करते हैं या नहीं।
कोर्ट का यह फैसला इस मुद्दे पर राज्यों की जिम्मेदारी को स्पष्ट करता है और उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने का संकेत भी देता है।