महाराष्ट्र में लंबे समय से चल रहे सस्पेंस के बाद, रविवार को अंततः मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में 39 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, एकनाथ शिंदे और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। लेकिन इस विस्तार के साथ कुछ ऐसे रहस्यमय सवाल भी उठे हैं जिनका जवाब अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है।
मंत्रियों का कार्यकाल: पांच नहीं, सिर्फ ढाई साल
राज्यपाल के सामने मंत्री पद की शपथ लेने वाले 39 विधायकों में से बीजेपी के 19, एनसीपी के 9 और शिवसेना शिंदे गुट के 11 विधायकों को शामिल किया गया। हालांकि, प्राप्त जानकारी के मुताबिक इन मंत्रियों का कार्यकाल पांच साल का नहीं, बल्कि ढाई साल तक ही सीमित रहेगा। इस फैसले के पीछे के कारण और इसकी सच्चाई को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस बात का संकेत दिया था कि मंत्रियों का कार्यकाल केवल ढाई साल तक रहेगा। इस निर्णय को लेकर विभिन्न दलों के नेताओं में काफ़ी असमंजस है, खासकर बीजेपी के मंत्रियों को लेकर। अजित पवार ने पार्टी के एक कार्यक्रम में यह भी कहा कि इस निर्णय को लेकर कई मंत्रियों के बीच असहमति हो सकती है। हालांकि, यह सवाल उठता है कि क्या यह फॉर्मूला बीजेपी के मंत्रियों पर भी लागू होगा या नहीं?
मंत्रियों से शपथ पत्र लिया जाएगा
इस विस्तार में एक और दिलचस्प पहलू यह है कि मंत्रियों से शपथ पत्र भी लिया जाएगा। जिन नेताओं को मंत्री पद दिया गया है, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका कार्यकाल केवल ढाई साल का होगा। शपथ पत्र में यह उल्लेख किया जाएगा कि वे सिर्फ इस सीमित अवधि तक ही मंत्री पद पर बने रहेंगे और बाद में मंत्रालय छोड़ना होगा।
शिवसेना के मंत्रियों को यह जानकारी पार्टी की बैठक के दौरान दी गई। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने पार्टी के नेताओं को इस फैसले के बारे में बताया और शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया के बारे में भी चर्चा की।
नाराजगी के कारण पार्टी में खलबली
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कई नेताओं में नाराजगी देखने को मिली है। भंडारा विधानसभा क्षेत्र के शिवसेना विधायक भोंडेकर ने मंत्री पद नहीं मिलने के बाद उपनेता पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही महागठबंधन के घटक दल रिमेम्बर ग्रुप (आरपीआई) के प्रमुख रामदास अठावले ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि उन्हें पहले यह वादा किया गया था कि उन्हें एक कैबिनेट मंत्रालय और एक विधान परिषद का पद दिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अठावले ने कहा कि अब वह अपने पदाधिकारियों का सामना कैसे करेंगे, यह एक बड़ा सवाल है।
इस मंत्रिमंडल विस्तार में ऐसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब जल्द ही सामने आ सकते हैं। क्या इस ढाई साल के कार्यकाल का फैसला सभी मंत्रियों पर लागू होगा? या फिर बीजेपी के मंत्रियों के लिए अलग नियम होंगे? इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में मिलने की उम्मीद है। महाराष्ट्र की राजनीति में इस विस्तार को लेकर अब और भी हलचल हो सकती है।