उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित यमुना अथॉरिटी के चेयरमैन अनिल सागर को उनके पद से हटा दिया गया है। उन पर गंभीर आरोप हैं, जिनमें कई प्रोजेक्ट्स को मनमाने तरीके से रद्द करना और कुछ को बिना किसी उचित प्रक्रिया के मंजूरी देना शामिल है। इस विवाद के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इस मामले में कार्रवाई नहीं की, तो कोर्ट की ओर से CBI जांच के आदेश दिए जाएंगे।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि अगली सुनवाई से पहले इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए। कोर्ट के आदेश के बाद, शनिवार को अनिल सागर को उनके पद से हटाकर उन्हें प्रतीक्षारत (वेटिंग लिस्ट) कर दिया गया। यह कदम उनके खिलाफ पहले से चल रहे आरोपों और अनियमितताओं के चलते उठाया गया है।
मनमाने फैसले और घोटाले के आरोप
यह कार्रवाई केवल एक बार के घोटाले के कारण नहीं की गई, बल्कि यमुना एक्सप्रेसवे के तहत भूमि आवंटन से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स में अनियमितताओं के आरोप पहले भी लग चुके हैं। इस बार सीधे तौर पर चेयरमैन अनिल सागर पर सवाल उठे हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी मर्जी से फैसले लिए और कई प्रोजेक्ट्स को मनमाने तरीके से मंजूरी दी, जबकि कुछ को बिना कारण रद्द कर दिया।
यह आरोप भी है कि उन्होंने एक जैसे तीन प्रोजेक्ट्स में अलग-अलग फैसले किए, जिससे यह मामला और भी विवादित हो गया। इनमें से कुछ प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई तो कुछ को बिना किसी स्पष्ट कारण के रद्द कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया
हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए यूपी सरकार को आदेश दिया कि मामले में शीघ्र कार्रवाई की जाए। अगर सरकार ने इसे नजरअंदाज किया, तो कोर्ट CBI जांच का आदेश दे सकती है। जस्टिस पंकज भाटिया की अध्यक्षता में सोमवार को इस मामले की अगली सुनवाई होनी है।
साथ ही, यह भी सामने आया है कि उत्तर प्रदेश के इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में नोएडा की तीनों अथॉरिटी के मामले की सुनवाई होती है, जहां बिल्डर्स के साथ शासन स्तर पर डीलिंग होती है। कोर्ट ने इस घोटाले को गंभीरता से लिया है और अब इस मामले में सरकार की ओर से जल्द कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब देखना होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या CBI जांच का आदेश जारी होता है।