संविधान पर गरमाई बहस: एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने राहुल गांधी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, सावरकर पर उठाए गंभीर सवाल

लोकसभा में शनिवार को संविधान के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में चल रही चर्चा के दौरान महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे और शिवसेना सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। श्रीकांत शिंदे ने संविधान पर चर्चा करते हुए राहुल गांधी की सावरकर पर की गई आलोचना का जवाब दिया और सवाल उठाया कि क्या इंदिरा गांधी भी संविधान विरोधी थीं? उन्होंने कहा कि हम सावरकर की पूजा करते हैं और हमे उन पर गर्व है।

श्रीकांत शिंदे ने राहुल गांधी के भाषण पर टिप्पणी करते हुए कहा, “राहुल गांधी ने संविधान पर चर्चा करने के बजाय हर दूसरी चीज पर बात की। उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर का नाम तक नहीं लिया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस के नेता संविधान पर बात करते हुए बाबा साहेब का सम्मान नहीं करते।” शिंदे ने कहा कि राहुल गांधी ने पिछले कुछ दिनों से संविधान के बारे में बहुत कम, और कई बार अन्य मुद्दों पर ज्यादा बोला है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने अपनी बातों में सावरकर का नाम लेकर उन्हें अपमानित किया।

सावरकर पर तीखा वार: इंदिरा गांधी का बयान उद्धृत किया

श्रीकांत शिंदे ने सावरकर के बारे में राहुल गांधी के बयान पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस नेताओं को सावरकर की जर्नी और उनके योगदान के बारे में समझना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम सावरकर की पूजा करते हैं, और हमें उन पर गर्व है। सावरकर ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया, जबकि कांग्रेस नेता उन्हें अपमानित करने की कोशिश करते हैं।”

श्रीकांत शिंदे ने इंदिरा गांधी के एक पुराने पत्र का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने सावरकर को भारतीय सपूत बताते हुए उनकी सराहना की थी। उन्होंने कहा, “यह पत्र 1980 का है, जिसमें इंदिरा गांधी ने पंडित बाखले से कहा था कि सावरकर ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी और वे भारत के सपूत थे। अब मैं पूछता हूं, क्या आपकी दादी इंदिरा गांधी संविधान विरोधी थीं?”

कांग्रेस पर पुरानी हिंसा और दंगों का आरोप

श्रीकांत शिंदे ने कांग्रेस पर सिखों के खिलाफ हिंसा करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “1984 में कांग्रेस ने सिखों के खिलाफ हिंसा की। ये इतिहास नहीं भूल सकते। कांग्रेस के कार्यकाल में 1,070 सांप्रदायिक दंगे हुए, और 1993 में बम विस्फोट हुआ। लेकिन पिछले 10 वर्षों में भाजपा सरकार के तहत देश में कोई बड़ा बम विस्फोट नहीं हुआ।”

उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ आरोप लगाते हुए कहा कि यह संविधान की ताकत है कि आज नरेंद्र मोदी जैसे नेता प्रधानमंत्री बने और आम लोग भी मुख्यमंत्री बनने में सफल हुए। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान ने ही कांग्रेस को 400 सीटों से घटाकर 40 तक पहुंचा दिया।

संविधान की ताकत और महाराष्ट्र की जनादेश की बात

श्रीकांत शिंदे ने यह भी कहा कि संविधान ही वह ताकत है जिसने महाराष्ट्र में उन्हें बड़ी जीत दिलाई और महाविकास अघाड़ी को विपक्ष में भेज दिया। उन्होंने महाराष्ट्र की जनता को धन्यवाद दिया और कहा, “इस संविधान के कारण हम यहां बैठ पाए हैं। यही संविधान हमें मजबूत बनाता है।”

शिंदे ने राहुल गांधी से सवाल करते हुए पूछा, “यह कौन सा संविधान है जिसे आप आज हाथ में लेकर चर्चा कर रहे हैं? क्या यह वही संविधान नहीं है जिसने कांग्रेस को 400 से घटाकर 40 कर दिया?” उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आज हम संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, और यह संविधान मजबूत है, क्योंकि यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखता है।

राहुल गांधी की आलोचना पर सावरकर और इंदिरा गांधी का संदर्भ

राहुल गांधी ने अपनी आलोचना में कहा था कि जब वे छोटे थे, तो इंदिरा गांधी ने उन्हें बताया था कि सावरकर ने अंग्रेजों के साथ समझौता किया और माफी मांगी थी। राहुल ने सावरकर के बारे में यह भी कहा था कि गांधी और नेहरू ने संघर्ष किया, लेकिन सावरकर ने माफी मांगी थी।

श्रीकांत शिंदे ने राहुल गांधी की इस टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि सावरकर का योगदान इतिहास में अविस्मरणीय है और उन्हें अपमानित करने की कोशिश करना गलत है। उन्होंने कहा कि सावरकर ने संघर्ष किया, जबकि राहुल गांधी और उनकी पार्टी ने देश की धारा को मोड़ने की कोशिश की है।

भविष्य में और बढ़ सकता है तनाव

यह बहस इस बात का संकेत हो सकती है कि आने वाले समय में सावरकर और उनके योगदान के संदर्भ में और भी राजनीति तेज हो सकती है। एक ओर जहां राहुल गांधी सावरकर की आलोचना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर श्रीकांत शिंदे और उनके समर्थक सावरकर को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नायक मानते हैं। ऐसे में संविधान की 75वीं सालगिरह पर चल रही यह बहस न केवल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय इतिहास और संस्कृति के बारे में विचार विमर्श को भी और बढ़ा सकती है।

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