लोकसभा में गरमाई बहस: राजनाथ सिंह ने कांग्रेस को घेरा, संविधान को लेकर उठाए गंभीर सवाल

लोकसभा में शुक्रवार को संविधान लागू होने के 75 साल पूरे होने के अवसर पर चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस और विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। राजनाथ सिंह ने संविधान को लेकर विपक्ष की आलोचना करते हुए कई गंभीर आरोप लगाए, जिससे लोकसभा में सियासी तापमान अचानक बढ़ गया। उन्होंने कहा कि संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं है, लेकिन हमेशा एक पार्टी विशेष द्वारा इसे हाईजैक करने की कोशिश की गई।

राजनाथ सिंह ने संविधान की अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा, “संविधान स्वाधीनता संग्राम के हवन कुंड से निकला अमृत की तरह है। यह किसी एक पार्टी का नहीं, बल्कि पूरे देश का संविधान है।” उनके इस बयान ने एक बार फिर से सियासी हलकों में चर्चा को तेज कर दिया। वहीं, कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए राजनाथ ने कहा कि यह पार्टी संविधान के सम्मान में गंभीर नहीं है और हमेशा सत्ता को संविधान से ऊपर रखा। उन्होंने विशेष तौर पर कांग्रेस के शासनकाल में हुए संवैधानिक उल्लंघनों का जिक्र किया।

रक्षा मंत्री ने कांग्रेस पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की वरिष्ठता के उल्लंघन का आरोप लगाया। उनका कहना था कि 1973 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संविधान और न्यायपालिका की स्वायत्तता को नकारते हुए तीन जजों की सीनियरिटी का उल्लंघन किया और चौथे क्रम के जज को सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायधीश बना दिया। राजनाथ सिंह ने कहा, “ये तीन जज सिर्फ इस कारण से सजा पाए, क्योंकि वे सरकार के सामने झुके नहीं थे और तानाशाही सरकार की शक्तियों को संविधान के दायरे में बांधने की कोशिश कर रहे थे।”

इसके बाद, राजनाथ ने विपक्ष के नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि कई नेता आज संविधान की प्रति अपनी जेब में रखकर घूमते हैं, जबकि उन्होंने संविधान का वास्तविक सम्मान कभी नहीं किया। उनका यह बयान सीधे तौर पर राहुल गांधी को लक्षित था, जिनके बारे में राजनाथ ने कहा, “विपक्ष के कई नेता अपनी जेब में संविधान की प्रति रखकर चलते हैं क्योंकि उन्होंने हमेशा अपने परिवार को यही सिखाया है कि संविधान सिर्फ जेब में होता है, न कि दिल में।”

राजनाथ सिंह ने संविधान की अडिग भूमिका को एक बार फिर से साबित करते हुए कहा, “संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि यह हमारी राष्ट्र भावना का प्रतीक है। यह पूरे देश का है, और इसे कभी किसी एक पार्टी के राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।”

वहीं, राजनाथ ने सावरकर का भी जिक्र किया और कहा, “हमें यह याद रखना चाहिए कि वीर सावरकर, लाला लाजपत राय, और सरदार भगत सिंह जैसे महापुरुषों ने हमारे संविधान के मूल्यों को मजबूत किया है।” इस बयान के साथ ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया, क्योंकि सावरकर का नाम आते ही राजनीति गर्मा गई।

जातिगत जनगणना को लेकर विपक्ष पर तंज कसते हुए राजनाथ ने कहा, “कांग्रेस और विपक्षी दल हमेशा जातिगत जनगणना की मांग करते हैं, लेकिन वे यह स्पष्ट नहीं करते कि किस जाति को कितने फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव दिया जाएगा। अगर वे कोई खाका तैयार करें, तो हम उस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं।”

राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया कि जब भी सत्ता और संविधान में से किसी एक को चुनने का मौका आया, कांग्रेस ने हमेशा सत्ता को ही प्राथमिकता दी। इसके जवाब में राजनाथ ने कहा, “हमने कभी संविधान को राजनीतिक लाभ का माध्यम नहीं बनाया। हमने संविधान को जिया है और इसके खिलाफ होने वाली साजिशों का डटकर मुकाबला किया है।”

रक्षा मंत्री ने मोदी सरकार द्वारा किए गए संवैधानिक संशोधनों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “पीएम मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने पिछले 10 सालों में जो भी संवैधानिक संशोधन किए, वे सभी संविधान के मूल्यों को मजबूत करने और सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से थे। हम नारी शक्ति वंदन अधिनियम के जरिए महिलाओं के अधिकारों को सशक्त कर रहे हैं, और 10 फीसदी आरक्षण का कदम भी सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण है।”

राजनाथ सिंह ने यह भी बताया कि कांग्रेस सरकार के दौर में संविधान में लगातार बदलाव किए गए। पंडित नेहरू के प्रधानमंत्री रहते हुए संविधान में 17 बार, इंदिरा गांधी के समय में 28 बार, राजीव गांधी के कार्यकाल में 10 बार और मनमोहन सिंह के दौर में 7 बार संविधान संशोधन किया गया।

इस सियासी हमले के बाद, यह साफ हो गया कि संविधान पर जारी बहस अब केवल एक चर्चा नहीं, बल्कि एक सियासी युद्ध में बदल चुकी है, जिसमें दोनों पक्षों ने अपने-अपने विचारों को पुख्ता करने की पूरी कोशिश की है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आगे चलकर यह बहस और विवाद किस दिशा में मुड़ता है और क्या इससे आगामी चुनावों पर असर पड़ेगा।

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