पश्चिम बंगाल के जलदापारा नेशनल पार्क के मेंडाबारी जंगल में हाथी के एक भयंकर हमले में तीन महिलाओं की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि एक अन्य महिला गंभीर रूप से घायल हो गई है। यह घटना अलीपुरद्वार जिले के कालचीनी ब्लॉक के दक्षिण मेंदाबारी इलाके में घटित हुई, जहां महिलाएं जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने के लिए जंगल गई थीं। हाथी के हमले ने पूरे इलाके में दहशत का माहौल बना दिया है, और इस घटना ने वन्य जीवों और मानवों के बीच बढ़ते संघर्ष पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दांतों वाले हाथी ने पलभर में मचाया तांडव
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, लगभग 10 महिलाएं जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने के लिए अजिन जंगल में गई थीं। महिलाएं जब घर लौट रही थीं, तब अचानक एक दांतों वाला हाथी (टस्कर) उनकी ओर दौड़ा। इस अप्रत्याशित हमले में हाथी ने तीन महिलाओं को पकड़कर उन्हें जोर से पटक दिया, जिससे तीनों की मौके पर ही मौत हो गई।
मृतकों की पहचान चांदमणि उरांव और रेखा बर्मन के रूप में हुई है, जबकि तीसरी महिला का शव अभी तक बरामद नहीं हो सका है। शव की तलाश जारी है, और पुलिस तथा वन विभाग की टीम मृतकों की तलाश में जुटी हुई है। इस दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है और स्थानीय निवासियों के बीच भय का माहौल पैदा कर दिया है।
घायल महिला का इलाज जारी
घायल महिला निमा चरावा का इलाज अलीपुरद्वार जिला अस्पताल में चल रहा है। उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है, लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि वह खतरे से बाहर है। घटना के बाद, वन विभाग और स्थानीय लोग सुरक्षा उपायों को और सख्त बनाने की मांग कर रहे हैं, ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। अधिकारियों का कहना है कि इस क्षेत्र में लगभग 23 हाथियों का एक झुंड सक्रिय था, और बावजूद इसके महिलाओं ने जंगल में जाने का जोखिम लिया।
अधिकारियों ने दी थी चेतावनी
घटना के बाद जलदापारा वन विभाग के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर पार्वीन कसवान ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “बुधवार को वन विभाग ने जलदापारा नेशनल पार्क के चिलपाटा रेंज में हाथियों के झुंड की चेतावनी जारी की थी। गांवों के निवासियों को अलर्ट किया गया था और उन्हें चिलपाटा जंगल में प्रवेश न करने की सलाह दी गई थी।”
उन्होंने बताया कि यह घटना चिलपाटा रेंज के बनिया बीट में हुई, जहां छह महिलाएं किसी तरह हाथियों के हमले से बचने में सफल रहीं, लेकिन तीन महिलाएं बुरी तरह घायल हो गईं और एक की हालत गंभीर हो गई। हाथियों ने उन्हें तब कुचल दिया जब वे अनजाने में झुंड के सामने गिर गईं।
प्रशिक्षित हाथियों के साथ शवों की तलाश
वन विभाग ने घटना के तुरंत बाद प्रशिक्षित कुंकी हाथियों की मदद से जंगल में शवों को और घायल महिला को बाहर निकाला। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, क्योंकि जंगल में हाथियों के झुंड का खतरा बना हुआ था।
फॉरेस्ट ऑफिसर ने बताया कि “हम नियमित रूप से ग्रामीणों को जानवरों की गतिविधियों के बारे में सूचित करते हैं। लेकिन इस घटना में, महिलाएं चुपके से जंगल में प्रवेश कर गईं और झुंड का सामना कर लिया।”
क्या जिम्मेदारी से बचने के लिए प्रशासन जिम्मेदार?
यह घटना यह सवाल उठाती है कि क्या प्रशासन और वन विभाग के चेतावनियों के बावजूद ऐसी घटनाएं रोकी जा सकती थीं? क्या यह महिला की गलती थी या प्रशासन की तरफ से उचित सुरक्षा उपायों की कमी का परिणाम था? इस घटना ने प्रशासन के खिलाफ भी सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब अधिकारियों ने पहले ही चेतावनी जारी की थी, बावजूद इसके ग्रामीणों ने जंगल में जाने का फैसला किया।
इस दर्दनाक घटना ने वन्य जीवन और मनुष्यों के बीच बढ़ते संघर्ष के मुद्दे को उजागर किया है, और अब इस मामले पर और सुरक्षा उपायों पर चर्चा जारी है। प्रशासन इस पर विचार कर रहा है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है और स्थानीय समुदायों को कैसे सुरक्षित किया जा सकता है।