बिहार सरकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिससे राज्य के लाखों किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है। राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने कहा कि अब 50 साल से एक ही जमीन पर बिना कागजात के रह रहे किसानों को कागजी दस्तावेज़ दिखाने की जरूरत नहीं होगी। अगर कोई किसान 50 साल पहले अपने परिवार के साथ जमीन का आपसी बंटवारा कर कब्जा कर रहा है और जमीन से संबंधित कोई विवाद नहीं है, तो अब वह बिना कागजात के अपने नाम से सर्वे करा सकते हैं। यह निर्णय किसानों के लिए राहत लेकर आया है, जिन्होंने लंबे समय से जमीन के अधिकारों को लेकर समस्याओं का सामना किया था।
राजस्व मंत्री ने यह भी बताया कि जिन जमीनों पर विभाग की रोक लगी हुई है, वे या तो सरकारी जमीन हैं या फिर खासमहल जमीन हैं। इसके लिए एक विशेष कमेटी बनाई गई है, जो इस प्रक्रिया को समझेगी और विशेष मसौदा तैयार करेगी। खासमहल जमीन से संबंधित मामलों में जल्द ही निर्णय लिए जाने की संभावना है।
इसके अलावा, मंत्री ने शहरी क्षेत्रों में लगान निर्धारण की स्थिति पर भी चर्चा की। लगभग 35 साल से शहरी क्षेत्रों में लगान का निर्धारण नहीं किया गया था, जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। मंत्री ने अधिकारियों को 20 दिसंबर तक का समय दिया है, ताकि इस मुद्दे का समाधान किया जा सके। इस दौरान पूर्णिया नगर निगम के कई वार्डों का शुल्क निर्धारण भी किया गया है, जिससे शहरवासियों को जल्द ही राहत मिलेगी।
राजस्व मंत्री ने बताया कि किसानों से लगान के रूप में प्रति डिसमिल केवल 5 रुपये का शुल्क लिया जाएगा, जो हर साल जमा करना होगा। सभी वार्डों में जल्द ही शिविर लगाए जाएंगे, ताकि किसानों को इसकी जानकारी मिल सके और वह अपनी राशि जमा कर सकें। इस कदम से सरकार को राजस्व में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
अपर समाहर्ता रवि राकेश ने कहा कि अब तक 10,988 खाता की एंट्री की जा चुकी है और 99.97 प्रतिशत के लिए रोल रेंट तैयार कर लिया गया है। इसके अलावा सभी प्रिंटआउट भी तैयार कर लिए गए हैं, जिससे किसानों को जल्द ही इसका लाभ मिल सकेगा।
यह फैसला किसानों के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है, क्योंकि इससे न केवल उनकी समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि राज्य के राजस्व में भी बढ़ोतरी की संभावना है।