बेंगलुरु के 34 वर्षीय आईटी इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी की आत्महत्या ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। यह सिर्फ एक व्यक्ति का अंत नहीं, बल्कि हमारे समाज और न्यायिक व्यवस्था की त्रासदी का प्रतीक बन गया है। 24 पन्नों का सुसाइड नोट और डेढ़ घंटे का वीडियो, जो उन्होंने मरने से पहले छोड़ा, उनके संघर्ष और दर्द की गवाही देता है। यह मामला एक ऐसी कहानी है जो हर संवेदनशील इंसान को झकझोर देती है।
अतुल ने अपनी चिट्ठी में अपने चार साल के बेटे के लिए लिखा, जिसे उन्होंने तीन साल से नहीं देखा था। उन्होंने लिखा:
“जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा, तो सोचा था कि तुम्हारे लिए अपनी जान भी दे सकता हूं। लेकिन अब मैं तुम्हारी वजह से अपनी जान दे रहा हूं।”
अतुल के लिए उनके बेटे से दूर रहना असहनीय हो गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी निकिता और ससुरालवालों ने उन्हें उनके बेटे से मिलने नहीं दिया। उन्होंने अपने बेटे को बताया कि उसका इस्तेमाल उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा था। बेटे से मिलने के लिए निकिता ने ₹30 लाख की मांग की थी।
अदालत ने अतुल को आदेश दिया था कि वह अपनी पत्नी और बेटे को ₹80,000 प्रति माह गुजारा भत्ता दें। हालांकि, निकिता ने ₹2 लाख की मांग की। अतुल के भाई बिकास मोदी ने आरोप लगाया कि निकिता और उनके परिवार ने बार-बार झूठे आरोप लगाकर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।
अतुल ने अपने पत्र में लिखा:
“यह बेशर्म व्यवस्था ने एक बेटे को उसके पिता के लिए बोझ बना दिया है।”
अतुल ने अपने पत्र में समाज और न्याय व्यवस्था की कठोर आलोचना की। उन्होंने लिखा:
“मैं सोचता था कि महिला सशक्तिकरण एक सकारात्मक विचार है। लेकिन अब यह पागलपन बन चुका है, जो मूल्यों को नष्ट कर रहा है।”
अतुल ने यह भी कहा कि यह व्यवस्था पुरुषों को केवल “पैसे कमाने की मशीन” समझती है। उन्होंने अपने बेटे को चेतावनी दी कि समाज और सिस्टम पर भरोसा न करें।
तलाक और अन्य कानूनी विवादों के कारण अतुल को 40 बार बेंगलुरु से जौनपुर आना पड़ा। उनके पिता पवन मोदी ने कहा कि यह लगातार दबाव उनके बेटे के लिए असहनीय हो गया। उनके भाई बिकास ने न्याय प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा:
“यह व्यवस्था अगर भ्रष्टाचार मुक्त नहीं होगी, तो लोग इंसाफ की उम्मीद कैसे करेंगे?”
अतुल ने अपने बेटे को लिखा:
“मैं तुम्हारे लिए 1000 बार मर सकता हूं, लेकिन अपने पिता के लिए तुम्हारे जैसे 100 बेटों को कुर्बान कर सकता हूं।”
यह वाक्य एक पिता के लिए उनके आदर और उनके परिवार के प्रति उनकी जिम्मेदारी को उजागर करता है। अतुल ने लिखा कि वह अपने माता-पिता और भाई को उनके दुख का कारण नहीं बनना चाहते थे।
निकिता ने अदालत में अतुल पर दूसरी महिला के साथ संबंध होने का आरोप लगाया और इसके सबूत पेश किए। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इन आरोपों का आधार कितना सही था।
उनके वकील अवधेश तिवारी ने बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अतुल के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों का रिकॉर्ड तलब किया है।
अतुल की आत्महत्या के बाद उनकी पत्नी निकिता, सास निशा, ससुर अनुराग और चाचा सुशील के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया। पुलिस जांच में जुटी हुई है और हर पहलू से मामले को खंगाल रही है।
अतुल की मौत के बाद सोशल मीडिया पर “अतुल को न्याय दो” का अभियान शुरू हो गया। लोग दहेज कानून और न्याय प्रणाली की खामियों पर सवाल उठा रहे हैं। उनके भाई बिकास ने कहा:
“ऐसे हालात में पुरुष शादी करने से डरने लगेंगे। उन्हें लगेगा कि शादी उन्हें केवल एटीएम मशीन बना देगी।”
अतुल ने अपने पत्र के अंत में अपने बेटे के लिए लिखा:
“मैंने तुम्हारे कॉलेज जाने के लिए कार खरीदने का सपना देखा था। इसके लिए पैसे बचाना शुरू कर दिया था। लेकिन अब मुझे हंसी आती है कि मैं कितना मूर्ख था।”
उन्होंने अपने बेटे को सलाह दी कि वह समाज और सिस्टम पर भरोसा न करे और अपने दिमाग से समस्याओं का हल निकाले।
अतुल सुभाष की आत्महत्या न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। यह घटना हमारी न्यायिक और सामाजिक व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है। सवाल यह है कि क्या हम इस दर्दनाक कहानी से कुछ सीखेंगे? क्या अतुल की मौत बेकार जाएगी, या यह हमारे सिस्टम में बदलाव लाने का एक कारण बनेगी?
देशभर में यह मांग उठ रही है कि पुरुषों के अधिकारों की भी रक्षा हो और उन्हें भी समान न्याय मिले।
एक्ट्रेस और बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने सुभाष की आत्महत्या के मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। कंगना ने इसे बेहद निंदनीय बताया और कहा कि इस केस में समाजवाद और नारीवाद का ऐसा पहलू सामने आया है, जिसने उन्हें चौंका दिया है।
मीडिया से बात करते हुए कंगना ने कहा, “यह मामला देखकर मैं शॉक्ड हूं। अतुल का वीडियो दिल दहला देने वाला है। हमारी भारतीय परंपराओं में शादी एक पवित्र बंधन है, लेकिन इस मामले में ऐसा लगता है कि इसमें कम्युनिज्म और सोशलिज्म का जहर घुल चुका है। यह निंदनीय नारीवाद का एक विकृत रूप दिखाता है।”
उन्होंने आगे कहा, “यह सब अब केवल परंपराओं तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा धंधा बन गया है, जहां लोगों से करोड़ों रुपये की जबरन वसूली की जा रही है। यह स्थिति किसी भी इंसान के सहनशक्ति से बाहर हो सकती है।”