संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) की टीम मंगलवार को जम्मू के करयानी तालाब क्षेत्र में रोहिंग्या बस्ती का दौरा करने पहुंची। यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां गैर-कानूनी तरीके से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के खिलाफ अभियान चला रही हैं।
कई संगठनों ने सुरक्षा एजेंसियों की इस कार्रवाई का विरोध किया है, और अब संयुक्त राष्ट्र भी इस मामले में शामिल हो गया है। इस सिलसिले में, दो UN अधिकारी – एक भारतीय और एक जापानी – रोहिंग्याओं से मिले हैं। खबरों के मुताबिक, आज फिर से UNHCR टीम रोहिंग्याओं से मुलाकात कर सकती है।
गैर-कानूनी रहने के आरोप
सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में 158 रोहिंग्या शरणार्थियों ने अवैध तरीके से आधार कार्ड बनवाए हैं। इसके अलावा, सुरक्षा एजेंसियों ने चार ऐसे एनजीओ की पहचान की है जो रोहिंग्याओं को जम्मू-कश्मीर में मदद कर रहे हैं।
बिजली-पानी कनेक्शन काटे जाने की घटना
जम्मू के नरवाल इलाके में रोहिंग्या जनगणना के बाद उनके बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए गए। इस कदम के बाद राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं, और कई लोगों ने इसे मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखा है।
UNHCR की उपस्थिति पर विवाद
UNHCR के दौरे का विरोध करने वालों का कहना है कि जबकि संयुक्त राष्ट्र बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर चुप है, जम्मू-कश्मीर में गैर-कानूनी रूप से रह रहे रोहिंग्या घुसपैठियों के साथ मिलने के लिए जम्मू पहुंची है।
यह स्थिति सुरक्षा, मानवाधिकार और राष्ट्रीय हितों के बीच जटिल बहस को जन्म दे रही है, और विभिन्न संगठन और एजेंसियां इस मुद्दे पर बारीकी से निग
रानी रखे हुए हैं।