सीरिया में तख्तापलट के बाद उत्पन्न हुई आराजकता का इजराइल ने भरपूर फायदा उठाना शुरू कर दिया है। असद की सेना के मैदान छोड़ने के बाद, सीरिया में सुरक्षा का कोई ठोस ढांचा नहीं बचा है और इस अस्थिरता का लाभ उठाते हुए इजराइल ने गोलान हाइट्स से सटे सीरियाई क्षेत्रों में अपना कब्जा बढ़ाना शुरू कर दिया है। इस बढ़ते वर्चस्व के साथ ही, इजराइल ने पिछले 48 घंटों में सीरिया पर करीब 300 एयर स्ट्राइक की हैं, जिससे सीरियाई एयर फोर्स और एयर डिफेंस नेटवर्क पूरी तरह से नष्ट हो गया है।
इन हमलों में सीरियाई सेना के विमान, हेलीकॉप्टर और वायु रक्षा प्रणाली पूरी तरह से तबाह हो गई हैं, जिससे सीरिया का वायु सुरक्षा ढांचा लगभग समाप्त हो चुका है। इजराइल इन हमलों को उस समय पर अंजाम दे रहा है, जब सीरिया में असद शासन का पतन हो चुका है और सरकार और सेना का प्रभाव क्षेत्र में सिमट चुका है।
इजराइल के हमलों का प्रमुख उद्देश्य उन हथियारों को नष्ट करना है, जिन्हें वह डर के तौर पर देखता है कि असद शासन के गिरने के बाद ये हथियार चरमपंथियों के हाथ लग सकते हैं। सोमवार को इजराइली विमानों ने सीरिया के तीन प्रमुख हवाई ठिकानों पर बमबारी की, जिनमें दर्जनों हेलीकॉप्टर और जेट विमान शामिल थे। यह हमले असद शासन के पतन के बाद हवाई ठिकानों पर अब तक के सबसे बड़े हमले माने जा रहे हैं।
हालांकि, इजराइल के इस कदम का विरोध भी बढ़ता जा रहा है। कतर, सऊदी अरब और इराक ने इन हमलों की निंदा की है और सीरिया से इजराइल के तत्काल सैन्य हस्तक्षेप को खत्म करने का आह्वान किया है। इसके अलावा, हूती समूह ने इजराइल की सैन्य कार्रवाई की आलोचना की है, खासकर क्यूनेत्रा और माउंट हरमोन के क्षेत्रों में बढ़ती सैन्य गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की है।
अमेरिका और तुर्की भी इस संघर्ष में शामिल हो गए हैं और दोनों देशों ने अपने-अपने सैन्य लक्ष्यों के तहत सीरिया में एयर स्ट्राइक की हैं। अमेरिका ने ISIS के लगभग 75 ठिकानों पर हमले किए हैं, जबकि तुर्की ने कुर्द फोर्स के ठिकानों को निशाना बनाया है। सीरिया में हो रही इस सैन्य कार्रवाई से क्षेत्रीय स्थिति और भी जटिल होती जा रही है, और इसके परिणामस्वरूप सीरिया के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।