आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले से एक हैरान करने वाली और रहस्यमयी घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ संगीत की दुनिया को चौंका दिया है, बल्कि हजारों लोगों को उत्सुक बना दिया है। यह कहानी है कोटेश्वर राव नामक एक म्यूजिक टीचर की, जो अपने दोस्तों के साथ पहाड़ी पर घूमते हुए एक ऐसा रहस्य ढूंढ निकाले, जिसने न केवल उनके जीवन को बदल दिया, बल्कि अब यह रहस्यमयी पत्थर देखने और सुनने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं।
रहस्यमयी ध्वनियां – पत्थर से निकलती है सरीगामापादनीसा की ध्वनि!
कोटेश्वर राव, जो गुंटूर जिले के चौदावरम स्थित चेतना स्कूल में म्यूजिक टीचर हैं, एक दिन अपने दोस्तों के साथ बोग्गुला कोंडा के पहाड़ी क्षेत्र में पहुंचे। यहां उनके एक दोस्त ने खेल-खेल में एक पत्थर पर दूसरा पत्थर मारा, और इसके बाद जो हुआ, वह बेहद चौंकाने वाला था। पत्थरों के टकराने से एक मधुर ध्वनि निकली, जो म्यूजिक टीचर कोटेश्वर राव के लिए अनोखी थी। उन्होंने तुरंत पहचाना कि यह ध्वनि ‘सरेगामापादनीसा’ के स्वर की तरह लग रही थी।
कोटेश्वर राव, जो एक अनुभवी संगीतज्ञ हैं, ने फिर से पत्थरों के टकराने की कोशिश की और वही ध्वनि फिर से गूंजी। उनके लिए यह एक संगीतमय चमत्कार जैसा था। उन्होंने अपनी बात को साबित करने के लिए पत्थरों के बारे में शोध करने वाले विशेषज्ञों को बुलाया। और यह सच भी निकला! इन पत्थरों में कुछ ऐसा खास था कि वे सरेगामापादनीसा के स्वर के अलावा, अन्य ध्वनियां भी उत्पन्न कर रहे थे।
संगीतज्ञों की खोज: पत्थरों में बसी आवाज़ें
शोधकर्ताओं ने यह पाया कि इन पत्थरों में सात स्वरों के अलावा एक और अनोखा गुण था – वे ‘द्वादश स्वर’ की ध्वनियां उत्पन्न कर रहे थे। यह एक बहुत ही असामान्य और रहस्यमयी विशेषता थी, क्योंकि आमतौर पर पत्थरों में सात स्वर की ध्वनियां सुनाई देती हैं, लेकिन इन पत्थरों से निकलने वाली ध्वनियां पूरी तरह से अलग थीं।
यह रहस्य अब संगीतज्ञों, शोधकर्ताओं और आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। कोटेश्वर राव ने इन पत्थरों को अपने स्कूल में सुरक्षित रूप से रखा और इन्हें प्रदर्शनी के लिए प्रस्तुत किया। जल्द ही, इन पत्थरों को देखने और सुनने के लिए लोगों का एक तांता लग गया। हजारों लोग बोग्गुला कोंडा के उस पहाड़ी क्षेत्र में पहुंचने लगे, जहां से यह अनोखा रहस्य सामने आया था।
गुंटूर जिले में बढ़ रही भीड़, लोग देखने पहुंच रहे हैं चमत्कारी पत्थर
अब कोटेश्वर राव के स्कूल में इन पत्थरों की प्रदर्शनी देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं। उन्हें सुनने के लिए कई संगीत प्रेमी और शोधकर्ता भी इस जगह पर आ रहे हैं, ताकि वे इस अनोखी ध्वनि का अनुभव कर सकें। इस घटना ने न सिर्फ संगीत जगत को, बल्कि वैज्ञानिकों और आम लोगों को भी चौंका दिया है।
कोटेश्वर राव ने बताया कि ये पत्थर सिर्फ ध्वनियों का संचार नहीं करते, बल्कि यह एक अद्भुत संगीत का हिस्सा हैं जो संगीतकारों और शोधकर्ताओं के लिए एक रहस्य बना हुआ है। उनके अनुसार, ये पत्थर न केवल सौंदर्यपूर्ण दृष्टि से आकर्षक हैं, बल्कि उनके पास एक अद्वितीय संगीत गुण भी है, जो उनकी खोज को और भी खास बना देता है।
क्या यह एक चमत्कारी खोज है?
इस घटना ने वैज्ञानिकों और संगीतकारों के बीच यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह कोई चमत्कारी खोज है या फिर इन पत्थरों में छुपे हुए संगीत के पीछे कोई अनदेखी प्राकृतिक प्रक्रिया काम कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक दुर्लभ प्राकृतिक घटना हो सकती है, जिसके बारे में अभी और अध्ययन की आवश्यकता है।
अब सवाल यह उठता है कि इस रहस्यमय ध्वनि के साथ इन पत्थरों का क्या भविष्य है? क्या यह संगीत जगत के लिए एक नई दिशा का संकेत है, या फिर यह सिर्फ एक रहस्यपूर्ण घटना है जिसका खुलासा समय के साथ होगा?
कोटेश्वर राव की इस खोज ने न केवल उनकी जिंदगी को एक नई दिशा दी है, बल्कि यह पूरी दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वास्तव में पत्थरों में छुपी संगीत की ध्वनियों का रहस्य कभी सामने आ सकेगा।