राजस्थान के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर का एक बयान अब राज्य की राजनीति में तूफान मचा रहा है। उन्होंने दावा किया है कि “विकास के नाम पर चुनाव नहीं जीते जा सकते” और इसके बदले लोगों से सीधे संपर्क बनाए रखना और उनके साथ जुड़ा रहना ही असली जीत की कुंजी है। मंत्री का यह बयान कोटा जिले के सीमलिया में बीजेपी कार्यकर्ताओं के एक कार्यक्रम के दौरान दिया गया और अब यह सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
विकास के बजाय ‘लोगों से संपर्क’ की सलाह
बीते शनिवार 7 दिसंबर को सांगोद विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा, “विकास की योजनाओं का आप सबको ध्यान है, लेकिन मैं एक बात कहना चाहता हूं कि अगर कोई ये कहे कि विकास करने से चुनाव जीते जाते हैं, तो यह बहुत बड़ी गलतफहमी है।” उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि चुनाव जीतने के लिए विकास से ज्यादा जरूरी है लोगों से मेलजोल और लगातार संपर्क बनाए रखना।
नागर ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे विकास पर ध्यान देने की बजाय गांव-गांव जाकर लोगों से मिलें, उनकी खुशियों और दुखों में शरीक हों, और उनके घरों तक जाकर मदद करें। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “आप विकास मत करो, लेकिन गांव में लोगों से बार-बार संपर्क करते रहो, उनसे मिलते-जुलते रहो, उनकी शादी-ब्याह, बीमारी, हर एक आयोजन में शामिल हो, मदद करो, उनका हाल-चाल पूछो, और राम-राम करते रहो तो 100% चुनाव जीत जाओगे।”
बयान पर बवाल, सरकार को हो सकती है परेशानी
राजस्थान में इस समय जहां एक ओर “राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट” का आयोजन हो रहा है, वहीं दूसरी ओर ऊर्जा मंत्री का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 दिसंबर को इस समिट का उद्घाटन किया, जबकि उसी दिन मंत्री नागर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस बयान ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों के अंदरूनी विरोधियों को निशाना देने का एक अवसर दे दिया है।
यह भी माना जा रहा है कि मंत्री का यह बयान राज्य सरकार के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके मंत्रिमंडल विकास को अपनी प्राथमिकता मानते हैं, वहीं मंत्री नागर का यह बयान सीधे तौर पर विकास के महत्व को नकारता हुआ दिखाई दे रहा है। राजनीतिक विश्लेषक इस बयान को सरकार और मंत्री दोनों के लिए परेशानी का सबब मानते हैं, क्योंकि इससे यह संदेश जा सकता है कि मंत्रियों को विकास की योजनाओं पर ज्यादा ध्यान देने की बजाय सिर्फ चुनावी राजनीति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
क्या यह बयान चुनावी रणनीति है?
राजनीतिक हलकों में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या हीरालाल नागर का यह बयान सिर्फ एक व्यक्तिगत राय है या फिर यह बीजेपी की चुनावी रणनीति का हिस्सा है? कुछ जानकारों का मानना है कि यह बयान प्रदेश के चुनावी माहौल को देखते हुए दिया गया हो सकता है, जहां पार्टी कार्यकर्ताओं को इस तरह की सुझाव दिए जाते हैं कि वे जनता के बीच अधिक सक्रिय रहें और स्थानीय समस्याओं में उनकी भागीदारी बढ़ाएं। हालांकि, यह भी एक सच्चाई है कि इस बयान के बाद बीजेपी की छवि पर असर पड़ सकता है, खासकर उस समय जब राज्य में आगामी चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं।
बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए चेतावनी या दिशा-निर्देश?
हालांकि मंत्री का यह बयान कुछ कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणादायक हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि चुनावी प्रक्रिया में विकास को नकारा जाए। क्योंकि विकास और जनता की भलाई ही किसी भी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या इस तरह के बयान से कार्यकर्ताओं को गलत दिशा में तो नहीं भेजा जा रहा, जो अंततः पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।
वर्तमान में राजस्थान में चुनावी माहौल बेहद गर्म है, और मंत्री नागर के इस बयान ने राजनीति में और भी हलचल पैदा कर दी है। देखने वाली बात यह होगी कि क्या बीजेपी इस बयान पर सफाई देती है या फिर इसे अपनी रणनीति का हिस्सा मानते हुए आगे बढ़ेगी।
अब यह सवाल सबके मन में है कि क्या यह बयान सरकार और पार्टी के लिए परेशानी का कारण बनेगा या फिर यह जनता के बीच एक नई रणनीति के रूप में उभरकर सामने आएगा?