महाराष्ट्र की राजनीति में हाल ही में हुए चुनावी नतीजे एक गंभीर सत्ता संघर्ष का संकेत दे रहे हैं, जिसमें एकनाथ शिंदे का राजनीतिक भविष्य सवालों के घेरे में आ गया है। ढाई साल तक मुख्यमंत्री रहे शिंदे भले ही उद्धव ठाकरे से शिवसेना की विरासत हासिल करने और अपने विधायकों की संख्या बढ़ाने में सफल रहे हों, लेकिन महायुति में बीजेपी के “बड़े भाई” बनने के बाद उन्हें कई बार सत्ता के खेल में चोटें लगी हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने के बाद अब शिंदे का गृह मंत्रालय पाने का सपना भी टूटता नजर आ रहा है।
बीजेपी का गहरी चाल: गृह मंत्रालय से इनकार
बीजेपी ने शिंदे खेमा को स्पष्ट रूप से कह दिया है कि वह गृह मंत्रालय नहीं दे सकती। जबकि शिंदे के समर्थक शिवसेना नेता जैसे गुलाबराव पाटिल और संजय शिरसाट इस मंत्रालय की मांग कर रहे हैं, बीजेपी ने उन्हें राजस्व, शहरी विकास और लोक निर्माण जैसे विभाग देने का प्रस्ताव दिया है। पार्टी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि गृह मंत्रालय का पद अब बीजेपी के पास रहेगा, खासकर जब केंद्रीय गृह मंत्रालय भी अमित शाह के हाथों में है। बीजेपी ने इस बार सत्ता की बागडोर के साथ-साथ सियासी पावर भी अपने हाथ में रखने का पूरा खाका तैयार किया है।
फडणवीस का खेल: गृह मंत्रालय से न हटने का इरादा
देवेंद्र फडणवीस, जो 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री रहे और इस दौरान गृह मंत्रालय अपने पास रखा, अब भी इसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। फडणवीस ने कहा है कि राज्य और केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार होने के कारण गृह मंत्रालय का एकजुट होना बहुत जरूरी है। यही कारण है कि बीजेपी हर हालत में यह मंत्रालय अपने पास रखना चाहती है, जबकि शिंदे खेमा इसे लेकर अड़ा हुआ है।
महाराष्ट्र में विभागों का खेल: क्या शिंदे को मिलेगा उनका हिस्सा?
विभागों के बंटवारे के दौरान यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी शिंदे खेमा को किस हद तक संतुष्ट कर पाएगी। जहां शिंदे की शिवसेना गृह मंत्रालय पर जोर दे रही है, वहीं बीजेपी ने उन्हें अन्य विभाग जैसे राजस्व, शहरी विकास और लोक निर्माण विभाग का प्रस्ताव दिया है। बीजेपी अब सत्ता की पूरी कुंजी अपने पास रखना चाहती है, और इस रणनीति के तहत कई महत्वपूर्ण विभागों को अपने पास रखने की योजना बनाई है।
इसके अलावा, बीजेपी ऊर्जा, जल संसाधन, आदिवासी कल्याण, आवास, ग्रामीण विकास, ओबीसी कल्याण और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग जैसे विभागों को अपने पास रखना चाहती है। वहीं, शिवसेना को उद्योग, स्कूली शिक्षा, स्वास्थ्य, जल आपूर्ति और स्वच्छता, लोक निर्माण (सार्वजनिक उपक्रम) और अल्पसंख्यक विकास जैसे विभागों की मांग का समर्थन किया जा रहा है।
अजित पवार की एंट्री: वित्त विभाग की ओर एक कदम और
एनसीपी के नेता अजित पवार ने भी सत्ता की कुंजी के लिए अपनी हिस्सेदारी की मांग की है। वह वित्त विभाग और कई अन्य अहम विभागों पर अपनी नजर बनाए हुए हैं। शिंदे के करीबी सूत्रों के अनुसार, अजित पवार को वित्त विभाग देने की बात लगभग तय मानी जा रही है, जबकि एनसीपी अन्य मंत्रालयों जैसे सहकारिता, कृषि, स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा पर भी दावा कर रही है।
क्या शिंदे को मिलेगा गृह मंत्रालय?
अब सवाल यह उठता है कि क्या शिंदे का मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरी तरह से चूर हो जाएगा और क्या वह गृह मंत्रालय का अपना सपना कभी पूरा नहीं कर पाएंगे? बीजेपी की रणनीति शिंदे के लिए एक और बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। शिंदे और उनकी शिवसेना को एक ओर बड़ा झटका लग सकता है, अगर बीजेपी उनकी मुख्य मांग को नकार देती है।
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि क्या शिंदे इस सत्ता संघर्ष में अपनी स्थिति को बचा पाएंगे या फिर बीजेपी की कड़ी रणनीति उनके लिए और भी मुश्किलें खड़ी कर देगी। महाराष्ट्र की सियासत में आने वाले दिनों में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं, और यह फैसला शिंदे की राजनीति की दिशा तय करेगा।