Pushpa 2 और रियल पॉलिटिक्स का रिश्ता: फिक्शन से रियलिटी तक का सफर

हाल ही में रिलीज हुई फिल्म Pushpa 2 का एक दृश्य, जिसमें पुष्पराज (अल्लू अर्जुन) बड़े स्टाइल में सोफे के अंदर नोटों की गड्डियां छुपाकर रिश्वत देता है, दर्शकों का न केवल मनोरंजन किया है, बल्कि एक ऐसा संदेश भी दिया है, जो भारतीय राजनीति और भ्रष्टाचार की कड़वी सच्चाई से जुड़ा हुआ है। यह दृश्य मात्र एक फिक्शन है, लेकिन हाल के दिनों में मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार से जुड़े असली मामलों की याद दिलाता है।

पुष्पा के किरदार में यह ताकत और चालाकी दिखाने का तरीका है, कि वह किस हद तक जाकर अपने मकसद को पूरा करता है। इस सीन में दिखाया गया है कि कैसे सोफे का उपयोग पैसा छुपाने और उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने में किया जाता है। यह एक मजबूत प्रतीक है कि भ्रष्टाचार कैसे संस्थानों की गहराई तक फैला हुआ है, और लोग किस प्रकार इसका का उपयोग करते हैं।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी का नाम एक विवाद में आया, जब सोशल मीडिया पर यह दावा किया गया कि उनकी राज्यसभा की सीट नॉ 222 से नोटों की गड्डी बरामद हुई है। आपको बता दे अभिषेक मनु सिंघवी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबंधित है और राज्यसभा में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते है। हालांकि, सिंघवी ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए खारिज किया। लेकिन यह घटना और Pushpa 2 का दृश्य, दोनों इस ओर इशारा करते हैं कि धन और सत्ता के खेल में “सोफा” केवल आराम का साधन नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार का प्रतीक बनता जा रहा है।

फिल्मों में ऐसे सीन दर्शकों का मनोरंजन करते हैं, लेकिन जब असली घटनाओं की बात आती है, तो जनता का गुस्सा फूटता है। सोशल मीडिया पर सिंघवी और इस मामले से जुड़े मीम्स और टिप्पणियां इस बात का सबूत हैं।

Pushpa जैसी फिल्में समाज में व्याप्त समस्याओं को बड़े पर्दे पर दर्शाती हैं। वहीं, राजनीति के असली मामले लोगों को यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि सिस्टम कितना पारदर्शी है।

जनता को यह समझने की जरूरत है कि चाहे फिक्शन हो या रियलिटी, इस तरह की घटनाओं का सामना करने के लिए हमें एक मजबूत और पारदर्शी सिस्टम की जरूरत है।

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने स्पष्ट किया कि इस मामले में जांच पारदर्शी होगी। यह देखा जाएगा कि नोटों के बंडल किसने और क्यों रखे।
दिल्ली पुलिस या किसी केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की संभावना जताई जा रही है। भाजपा इस मुद्दे को भ्रष्टाचार का प्रतीक बताकर जनता के बीच ले जाने की तैयारी कर रही है, जबकि कांग्रेस इसे साजिश करार देते हुए संसद में विरोध प्रदर्शन की योजना बना रही है।

 

घटना को लेकर सवालों के घेरे में आए अभिषेक मनु सिंघवी ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा, “मुझे इस घटना की जानकारी नहीं थी। मैं कल दोपहर 12:57 बजे सदन में पहुंचा और 1 बजे कार्यवाही समाप्त हो गई। इसके बाद मैं कैंटीन में बैठा और 1:30 बजे संसद से बाहर चला गया। केवल तीन मिनट की उपस्थिति में मेरी सीट पर नोटों का रखा जाना अजीब है। निश्चित रूप से जांच होनी चाहिए कि ये नकदी कौन लाया और क्यों?”

 

इस घटना के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए इसे भ्रष्टाचार की नई कड़ी बताया। भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाते हुए कहा, “कांग्रेस नेताओं के पास इतनी नकदी है कि वे यह भी नहीं देख पाते कि वह कहां रखी है। सवाल यह है कि आखिर यह पैसे किसके हैं और इन्हें संसद में कैसे लाया गया? पूरी घटना की जांच होनी चाहिए।”

 

पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा, “नोटों का बंडल मिलने की घटना चौंकाने वाली है। उपराष्ट्रपति ने जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन कांग्रेस को जवाब देना चाहिए कि आखिर इतने नोट आए कहां से।”

 

कांग्रेस ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए इसे ध्यान भटकाने की चाल बताया। कांग्रेस चीफ व्हिप जयराम रमेश ने इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “जांच चल रही थी, फिर सभापति ने सांसद का नाम क्यों लिया? यह पारदर्शिता नहीं, बल्कि विपक्ष को बदनाम करने की साजिश है।”

 

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