नासा का आर्टेमिस-II मिशन, जो 2025 तक चंद्रमा के चारों ओर पहली मानवयुक्त उड़ान का लक्ष्य लेकर चल रहा था, अब 2026 तक टल गया है। इस देरी के पीछे सबसे बड़ा कारण मिशन के अंतरिक्ष यान की हीट शील्ड में आई तकनीकी खामियां हैं। यह सवाल उठता है कि आखिरकार क्यों नासा इस महत्वाकांक्षी मिशन को समय पर पूरा करने में सक्षम नहीं हो पा रहा है, और किस वजह से यह देरी हो रही है।
हीट शील्ड में तकनीकी खामियों ने बढ़ाई मुश्किलें
आर्टेमिस-II मिशन के लिए अंतरिक्ष यान के हीट शील्ड का डिजाइन वायुमंडल में प्रवेश करते समय अंतरिक्ष यान को 5,000 डिग्री फारेनहाइट तक की अत्यधिक गर्मी से बचाने के लिए किया गया है। हालांकि, परीक्षण के दौरान यह सामने आया कि शील्ड से अपेक्षाकृत अधिक चार्ड मटेरियल (जलने के बाद बचा पदार्थ) का अलग होना मिशन को आगे बढ़ाने में मुश्किल पैदा कर रहा है।
इससे पहले आर्टेमिस-I मिशन भी बिना क्रू के सफलतापूर्वक संपन्न हुआ था, लेकिन इसमें भी हीट शील्ड के प्रदर्शन पर सवाल खड़े हुए थे। इस मिशन के दौरान, इंजीनियरों ने पाया कि शील्ड की बाहरी परत से गैस का निर्माण हुआ था, जिससे आंतरिक दबाव बढ़ा और सामग्री असमान रूप से झड़ने लगी। यही अप्रत्याशित विफलता अब आर्टेमिस-II मिशन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
हीट शील्ड की गहरी जांच और समाधान
नासा ने इस समस्या को लेकर 100 से अधिक परीक्षण किए, जिनमें कई प्रमुख सुविधाओं में किए गए परीक्षण शामिल थे। इन परीक्षणों ने यह दिखाया कि गैस दबाव और संरचनात्मक असमानता के कारण सामग्री कमजोर हो सकती है। इस चुनौती से निपटने के लिए नासा ने आर्टेमिस-II मिशन के लिए प्रवेश मार्ग को संशोधित करने का निर्णय लिया है, जिससे शील्ड पर कम दबाव पड़े और अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
स्पेसएक्स से सीख रहा नासा
नासा की इस तकनीकी विफलता को लेकर स्पेसएक्स की तकनीकी प्रगति भी महत्वपूर्ण साबित हो रही है। स्पेसएक्स ने अपनी स्टारशिप अंतरिक्ष यान के लिए अत्याधुनिक हीट शील्ड तकनीक विकसित की है, जिसमें सिरेमिक टाइल प्रणाली का उपयोग किया गया है। यह प्रणाली उच्च तापमान को सहन करने में सक्षम है और इसे कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि लागत भी घटती है। इसके विपरीत, पारंपरिक हीट शील्ड वायुमंडलीय पुनः प्रवेश के दौरान जलने लगती हैं।
नासा अब स्पेसएक्स की इस तकनीक से प्रेरित होकर अपने हीट शील्ड सिस्टम को और बेहतर बनाने के प्रयास कर रहा है।
मिशन की देरी और नासा की प्राथमिकताएं
आर्टेमिस-II मिशन अब अप्रैल 2026 में लॉन्च होने की उम्मीद है, लेकिन नासा का कहना है कि यह देरी मिशन की सफलता और अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। नासा ने यह स्पष्ट किया है कि तकनीकी खामियों को सुधारने और अपने सिस्टम को विश्वसनीय बनाने के लिए यह समय आवश्यक है।
नासा ने यह भी कहा कि चंद्रमा के इस मिशन के सफल होने से अंतरिक्ष अन्वेषण के अगले चरणों की नींव रखी जाएगी, जो भविष्य के मंगल अभियानों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
क्रू की सुरक्षा पर जोर
नासा ने यह पुनः दोहराया है कि वह अपने अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। हीट शील्ड और अन्य सुरक्षा उपकरणों की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करना, चंद्रमा के मिशन को सफल और सुरक्षित बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
नासा का अमेरिकी नेतृत्व को मजबूत करना
स्पेसएक्स से प्रेरणा लेते हुए, नासा अपने सिस्टम को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। इस देरी को नासा अपने तकनीकी प्रयासों में सुधार का अवसर मानता है और इसने अंतरिक्ष अन्वेषण में अमेरिका के नेतृत्व को और मजबूत करने का एक अवसर भी देखा है।
इस मिशन की देरी भले ही निराशाजनक हो, लेकिन नासा का लक्ष्य चंद्रमा के साथ-साथ मंगल की ओर भी कदम बढ़ाना है। अब देखने की बात यह होगी कि 2026 में जब यह मिशन लॉन्च होगा, तो क्या नासा की टीम अपने सभी सिस्टम्स और तकनीकी उपकरणों के साथ सफलता हासिल कर पाएगी या फिर कोई और नई चुनौती सामने आएगी।