सोलापुर में चुनाव प्रक्रिया को लेकर बवाल, एनसीपी और शरद पवार ने ईवीएम पर सवाल उठाए, इस्तीफे की धमकी

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के मरकडवाड़ी गांव में चुनावी नतीजों को लेकर चल रहे विवाद ने तूल पकड़ लिया है। एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने एक एंटी-ईवीएम इवेंट में हिस्सा लिया और चुनाव प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल उठाए। इस दौरान, शरद पवार ने न केवल ईवीएम पर निशाना साधा, बल्कि चुनाव आयोग के खिलाफ भी मोर्चा खोलते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की। मरकडवाड़ी गांव में विवादास्पद चुनाव नतीजों को लेकर लोगों का विश्वास डगमगाया है, और इसी कारण गांववालों ने बैलेट पेपर से मॉक चुनाव कराने का ऐलान किया था, जो प्रशासन द्वारा रोका गया।

एनसीपी गुट के नेता शरद पवार ने कहा, “पूरे देश में मरकडवाड़ी गांव की चर्चा हो रही है, लोग चुनाव नतीजों को लेकर शंकित हैं। कई देशों ने ईवीएम का त्याग किया है, यहां तक कि अमेरिका जैसे देशों में भी अब बैलेट पेपर से वोटिंग होती है।” पवार ने यह भी कहा कि चुनाव प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत है, ताकि लोगों का विश्वास बहाल हो सके।

वहीं, शरद पवार की पार्टी से हाल ही में चुने गए विधायक उत्तमराव जानकर ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। मरकडवाड़ी के इस विवादास्पद चुनाव परिणामों से असंतुष्ट जानकर ने विधायक पद को त्यागने की बात कही और कहा, “मुझे विधायक पद से कोई फर्क नहीं पड़ता, मेरे लिए लोकतंत्र महत्वपूर्ण है।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर मालशिरस विधानसभा में उपचुनाव हुआ, तो वह केवल बैलेट पेपर से ही कराए जाने चाहिए। जानकर ने चेतावनी दी कि यदि चुनाव आयोग उनकी बात नहीं सुनेगा तो वे इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे।

ईवीएम पर सवाल उठाते हुए पवार ने कहा, “मुझे यह सुनने को मिला कि यहां पर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की गई, और इस कारण लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।” उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग और राज्य सरकार ने लोगों की आवाज को दबाने की कोशिश की। पवार ने कहा, “हम इस मुद्दे को चुनाव आयोग और मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे, और हम एक प्रस्ताव लाएंगे कि भविष्य में चुनाव बैलेट पेपर से ही हो।”

शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि मॉक पोल कराने से भले ही चुनाव के परिणाम पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यह सत्य का खुलासा करेगा। उन्होंने यह भी कहा, “यह देश सत्यमेव जयते पर चलता है, न कि सत्ता मेव जयते पर।” ठाकरे ने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की जरूरत पर जोर दिया और महायुति (भा.ज.पा. और सहयोगियों) पर भी तीखा हमला किया।

इस बीच, एनसीपी के नेता जितेंद्र आव्हाड ने मरकडवाड़ी गांव के लोगों के निर्णय का समर्थन किया और महायुति पर निशाना साधते हुए कहा, “यह निर्णय गांववालों का था, हमने उन्हें ऐसा करने के लिए नहीं कहा था। अगर लोकतंत्र में भरोसा है, तो इस कदम को रोकने की क्या जरूरत थी?” उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि उन्होंने गांववालों को डराकर और गिरफ्तार करके लोकतंत्र को दबाने की कोशिश की।

यह घटनाक्रम महाराष्ट्र में चुनावी प्रक्रिया और ईवीएम को लेकर नए सवाल खड़े कर रहा है। शरद पवार और एनसीपी के नेताओं की ओर से इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद, अब यह देखना होगा कि चुनाव आयोग इस पर क्या कदम उठाता है और क्या बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग पूरी होगी।

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