भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी के बाद पहली कूटनीतिक वार्ता आयोजित की। कल दिल्ली में आयोजित भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय तंत्र (WMCC) की 32वीं बैठक में दोनों देशों ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करने पर सहमति जताई।
देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी पूरी
लगभग दो महीने पहले पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में डिसएंगेजमेंट का कार्य दिवाली से पहले पूरा हो गया था। यह क्षेत्र पिछले चार वर्षों से गश्त के लिए बंद थे। सैनिकों की वापसी के बाद, दिवाली के मौके पर दोनों देशों के सैनिकों ने एक-दूसरे को उपहार भी दिए, जो संबंध सुधार की दिशा में एक सकारात्मक संकेत था।
गलवान झड़प के बाद बिगड़े थे रिश्ते
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत-चीन संबंधों में खटास आ गई थी। दोनों देशों के बीच सीमा पर बढ़ते तनाव को कम करने के लिए कई दौर की बातचीत चली। 21 अक्टूबर 2023 को हुए एक समझौते के तहत सैनिकों की वापसी को अंतिम रूप दिया गया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तब कहा था कि समझौते के बाद सैनिक पहले की तरह गश्त कर सकेंगे।
3488 किलोमीटर लंबी विवादित सीमा
भारत और चीन दुनिया की सबसे लंबी विवादित सीमा, यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC), साझा करते हैं, जो 3488 किलोमीटर लंबी है और इसे तीन सेक्टर्स—ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न—में बांटा गया है।
आगे का रास्ता
हालिया वार्ता में दोनों देशों ने सीमा पर स्थायी शांति बनाए रखने और तनाव कम करने के लिए संवाद जारी रखने का संकल्प लिया है। हालांकि, गलवान झड़प के बाद से पैदा हुए अविश्वास को दूर करना दोनों देशों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।