प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ की भव्य तैयारियां जारी हैं, जहां 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना है। लेकिन राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने गंगा नदी में गिरते सीवेज को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। एनजीटी ने चेतावनी दी है कि अगर गंगा में 50 नालों से गिर रहे गंदे पानी का प्रवाह नहीं रोका गया, तो कुंभ मेले में स्नान करने वाले तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है।
स्नान पर्व से लेकर स्वास्थ्य तक सवाल
महाकुंभ का आयोजन 40 दिनों तक चलेगा, जिसमें मकर संक्रांति से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक विशेष स्नान पर्व होंगे। लाखों श्रद्धालु गंगा में पवित्र स्नान करेंगे, लेकिन एनजीटी का कहना है कि गंदे पानी के कारण यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।
सीवेज के गंदे पानी की समस्या
एनजीटी ने जानकारी दी कि रसूलाबाद से संगम तक करीब 8 किलोमीटर के क्षेत्र में 50 नालों से सीवेज गंगा में गिर रहा है। 2024 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस समस्या से निपटने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई थी। हालांकि, 23 नवंबर तक गंगा में गंदे पानी को रोकने पर कोई ठोस रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई, और समय बढ़ाने का अनुरोध भी नहीं किया गया।
एनजीटी ने दिया सख्त निर्देश
29 नवंबर को एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की बेंच ने आदेश दिया कि कुंभ मेले के शुरू होने से पहले गंगा में गिर रहे सीवेज के प्रवाह को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी, जिसमें प्रगति पर चर्चा की जाएगी।
चुनौतीपूर्ण तैयारी
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में गंगा की स्वच्छता और श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य सुनिश्चित करना उत्तर प्रदेश प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। एनजीटी की चेतावनी ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है।