साउथ कोरिया में बीते 24 घंटे से सियासी हलचल तेज है, जहां मंगलवार को राष्ट्रपति यून सुक-योल ने देश में अचानक मार्शल लॉ लगाने की घोषणा कर दी थी। लेकिन उनकी यह घोषणा लंबे समय तक कायम नहीं रह सकी। नेशनल असेंबली ने वोटिंग के माध्यम से उन्हें अपना फैसला बदलने पर मजबूर कर दिया, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।
इस बीच, देश के मुख्य विपक्षी दल ने राष्ट्रपति से तत्काल पद छोड़ने की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर यून सुक अपने पद पर बने रहते हैं तो उन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ेगा। राष्ट्रपति के खिलाफ सड़कों पर उभरी जनता का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है। विपक्षी दलों का आरोप है कि यून सुक ने अपनी पत्नी और खुद को बचाने के लिए मार्शल लॉ लगाने का प्रयास किया था, जिससे देश में असंतोष और विरोध का माहौल बन गया।
रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून ने इस उथल-पुथल के बीच जनता से माफी मांगते हुए अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है, जिससे राजनीतिक संकट और भी गहरा गया है। लेबर यूनियन ने राष्ट्रपति के फैसले के विरोध में सामूहिक हड़ताल का आह्वान किया है और बुधवार को हजारों लोग सड़कों पर उतर आए, अपनी नराजगी जाहिर करते हुए राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन किया।
जापान और स्वीडन के नेताओं के दौरे भी इस राजनीतिक संकट के कारण प्रभावित हो गए हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, जापान के रक्षा मंत्री जेन नकातानी ने अपने साउथ कोरिया दौरे को स्थगित कर दिया है, जबकि स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन का दौरा भी रद्द हो गया है। क्रिस्टर्सन को इस हफ्ते राष्ट्रपति यून सुक-योल के साथ समिट में शामिल होना था, लेकिन अब उनका यह दौरा नहीं हो सकेगा।
इस राजनीतिक तूफान में साउथ कोरिया की राजनीति का भविष्य क्या होगा, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। जनता का विरोध और विपक्ष का दबाव बढ़ता जा रहा है, जिससे राष्ट्रपति यून सुक-योल की सरकार के सामने कठिन चुनौतियाँ आ सकती हैं। आने वाले दिनों में क्या होगा, यह समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल सियासी हलचल और विरोध की लहर साउथ कोरिया में पूरी तरह से साफ नजर आ रही है।