प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को चंडीगढ़ में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने इन तीनों नए आपराधिक कानूनों के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि यह बदलाव भारतीय न्याय व्यवस्था में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि ये कानून देश में नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाएंगे और न्याय व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी और सशक्त बनाएंगे।
“अब नागरिकों के अधिकार होंगे सर्वोपरि”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आजादी के 7 दशकों बाद न्याय व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव आया है। इन नए कानूनों के जरिए न्यायिक प्रणाली में सुधार और परिवर्तन को लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब पुलिस किसी को अपनी मर्जी से हिरासत में नहीं ले सकेगी और इसके लिए संबंधित व्यक्ति के परिवार को सूचित करना होगा। नए कानूनों के तहत नागरिकों के अधिकारों को सर्वोपरि रखा गया है, और नागरिकों को उनके न्यायिक अधिकार पूरी तरह से मिलेंगे।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय न्याय संहिता के तहत ‘सिटिजन फर्स्ट’ का सिद्धांत लागू किया गया है, यानी अब नागरिकों के अधिकार और सुरक्षा सबसे पहले होंगे। उन्होंने आगे बताया कि नए कानून “Ease of Justice” पर आधारित हैं, जो न्याय की प्रक्रिया को सरल, सुलभ और त्वरित बनाने में मदद करेंगे। पीएम मोदी ने खास तौर पर जीरो एफआईआर को कानूनी रूप से मान्यता देने की प्रक्रिया का उल्लेख किया, जो पहले एक मुश्किल कार्य था। अब यह कानून नागरिकों को न्याय दिलाने के रास्ते को और अधिक सुलभ बनाएगा।
“संविधान की भावना से प्रेरित”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज जब देश विकास की दिशा में बढ़ रहा है और “विकसित भारत” का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है, तब भारतीय न्याय संहिता के प्रभाव में आना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि संविधान की भावना से प्रेरित होकर इस कानून का आरंभ हो रहा है, जो न केवल न्यायिक प्रक्रिया को बेहतर बनाएगा, बल्कि हर नागरिक को त्वरित और निष्पक्ष न्याय देने में मदद करेगा।
प्रधानमंत्री ने इन कानूनों को लागू करने में सुप्रीम कोर्ट, न्यायाधीशों और सभी उच्च न्यायालयों के योगदान की सराहना की और उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि इन कानूनों के बनने में व्यावहारिक पहलुओं का ध्यान रखा गया है, ताकि यह कानून समाज की जरूरतों के अनुरूप हो।
“अंग्रेजी कानूनों से मुक्ति”
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर एक और महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो देशवासियों ने सोचा था कि अंग्रेजी शासन के साथ-साथ अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कठोर कानूनों से भी मुक्ति मिलेगी। हालांकि, यह समय के साथ साफ हुआ कि अंग्रेजों के शोषण और अत्याचार का सबसे बड़ा साधन वही कानून थे, जो अब तक लागू थे। अब इन नए कानूनों के लागू होने के बाद उन पुराने अंग्रेजी कानूनों को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है।
“न्यायिक सुधार का एक नया अध्याय”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद हजारों ऐसे कैदी, जो पुराने और कठोर अंग्रेजी कानूनों के कारण लंबे समय से जेल में बंद थे, अब अपनी रिहाई का इंतजार कर सकते हैं। यह नया कानून नागरिक अधिकारों को सशक्त बनाने के लिए एक कदम है, जो न केवल भारत के न्यायिक इतिहास में एक मील का पत्थर होगा, बल्कि न्याय प्रणाली के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने इन कानूनों के प्रभाव को “न्याय के रास्ते को और अधिक सुलभ और त्वरित बनाने” के रूप में बताया और कहा कि यह कदम हमारे संविधान में निहित मूल्यों की तरफ एक ठोस कदम है। इन कानूनों का उद्देश्य समाज के हर वर्ग को न्याय दिलाना और उन सभी अव्यवस्थाओं को समाप्त करना है, जो पूर्व में नागरिकों को न्याय से वंचित करती थीं।